Sunday Theater: युवाओं के लिए करियर के सामने माता-पिता की भावनाओं का कोई कद्र नहीं
संडे थियेटर श्रृंखला में प्रताप सहगल के लिखे नाटक अंतराल के बाद का मंचन किया गया।नाटक के माध्यम से यह दर्शाया गया कि किस तरह माता-पिता अपने करियर की चिंता किए बिना बच्चों की परवरिश करते हैं लेकिन बच्चे अपने करियर के लिए किसी से कोई समझौता नहीं करना चाहते।
जम्मू, जागरण संवाददाता : नटरंग संडे थियेटर श्रृंखला में नीरजकांत के निर्देशन में प्रताप सहगल के लिखे नाटक अंतराल के बाद का मंचन किया गया। नाटक के माध्यम से यह दर्शाया गया कि किस तरह माता-पिता अपने करियर की चिंता किए बिना बच्चों की परवरिश करते हैं, लेकिन बच्चे अपने करियर के लिए किसी से कोई समझौता नहीं करना चाहते। नटरंग स्टूडियो में मंचित यह नाटक एक विधवा के आसपास घूमता है, जो अपने बच्चे के जन्म और उसकी देखभाल के लिए करियर ब्रेक लेती है, लेकिन बदले में उसे अकेलापन ही मिलता है।
नाटक के पहले ही दृश्य में मंजू अपने बेटे गौरव का इंतजार कर रही है। बच्चा जब आता है तो अपनी मां को कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई और शोध कार्य के लिए मिलने वाली छात्रवृत्ति के बारे में बताता है, लेकिन मंजू अपने बेटे को विदेश भेजने में हिचक रही है। अगले दृश्य में मंजू की मित्र दीपा गौरव को आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने के लिए मनाती हुई दिखाई देती है और उसे यह भी बताती है कि हमारे माता-पिता क्या सोचते थे। न तो उन्होंने कुछ किया अौर न ही वह हम लोगों को कुछ करने के लिए कही जाने देना चाहते हैं।
भावुक हुई गौरव की मां कहती है कि एक समय के बाद नैतिक मूल्य बदल जाते हैं। वह बताती है कि जब गौरव केवल एक साल का था, तब उसे भी उच्च अध्ययन के लिए विश्वविद्यालय द्वारा छात्रवृत्ति की पेशकश की गई थी, जिसे उसने अपने बच्चे की खातिर मना कर दिया था। तब उनके पति ने उनसे कहा था कि आपका बच्चा आपकी भावनाओं, खुशियों और चिंताओं का ध्यान नहीं रखेगा, जिसके लिए आप अपने करियर का त्याग कर रहे हैं।
दो साल बाद मंजू के पति मधुर एक सड़क दुर्घटना में मारे गए। तब मधुर के दोस्त सुरेश ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। अब अकेली मां अपने बेटे को विदेश नहीं जाने देना चाहती, लेकिन गौरव अपनी मां की भावनाओं, दुख और भावनाओं की परवाह किए बिना कैलिफोर्निया के लिए उड़ान भरता है। अंतिम दृश्य में अकेली मां अपने पति के शब्दों को याद करती है।