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Jammu Kashmir: डॉ. अब्दुल्ला ने मांगी 16 नेताओं की रिहाई, सरकार ने कहा- कोई हिरासत या नजरबंद नहीं

किसी भी नेता का एहतियातन बंदी बनाए जाने या नजरबंद रखने का कोई आदेश नहीं है। सभी नेता कहीं भी आने जाने के लिए स्वतंत्र हैं बशर्ते वह अपनी सुरक्षा संबधी मानकों का पूरा ध्यान रखें।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 06:18 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 06:35 PM (IST)
Jammu Kashmir: डॉ. अब्दुल्ला ने मांगी 16 नेताओं की रिहाई, सरकार ने कहा- कोई हिरासत या नजरबंद नहीं
Jammu Kashmir: डॉ. अब्दुल्ला ने मांगी 16 नेताओं की रिहाई, सरकार ने कहा- कोई हिरासत या नजरबंद नहीं

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश प्रशासन के मुताबिक नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष  डॉ. फारुक अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी के जिन 16 नेताओं की रिहाई की याचिका दायर की है, उनमें से काेई भी हिरासत में या फिर नजरबंद नहीं हैं। यह नेता कहीं भी आने जाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं, बशर्ते इनकी सुरक्षा को काेई खतरा न हो। यही नहीं सुरक्षा क्वच के सभी मानक पूरे होते हों। प्रदेश प्रशासन ने यह जानकारी सोमवार को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में दी है।

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नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारुक अब्दुल्ला और उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 30 जून काे अपनी पार्टी के 16 नेताओं को अवैध रुप से हिरासत में व नजरबंद रखे जाने का आरोप लगाते हुए जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर आज प्रदेश उच्च न्यायालय में सुनवाई थी और जम्मू-कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने अपना पक्ष रखा है।

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में नेकां की याचिका पर प्रदेश प्रशासन का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता बशीर अहमद डार ने कहा कि यह न सिर्फ चौंकाने वाला है बल्कि हैरान करने वाला है कि यहां न काेई कानूनी प्रक्रिया चल रही थी और न ऐसा काेई विचार था। कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने भी अदालत को अपने जवाब में लगभग यही जानकारी दी है। अलबत्ता, उन्होंने बताया कि बीते साल हुए संवैधानिक संशोधन के बाद कुछ शरारती तत्वों द्वारा कानून व्यवस्था और शाांति को भंग किए जाने की आशंका थी। इस बात की भी आशंका थी कि कुछ नेता हालात बिगाड़ने के लिए लाेगो काे भड़का सकते हैं। इसके बावजूद किसी भी नेता का एहतियातन बंदी बनाए जाने या नजरबंद रखने का कोई आदेश नहीं है। सभी नेता कहीं भी आने जाने के लिए स्वतंत्र हैं, बशर्ते वे अपनी सुरक्षा संबधी मानकों का पूरा ध्यान रखें।

अदालत में दायर याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए प्रदेश प्रशासन ने बताया कि याचिका दायर करने वाला और जिनके लिए याचिका दायर की है, सभी संरक्षित व्यक्ति हैं। इन्हें सलाह दी गई है कि यह संबधित प्रशासन को सूचित किए बिना किसी भी संवेदनशील इलाके में न जाएं। जाने से पूर्व संबधित प्राधिकारियों का सूचित किया जाए ताकि वह सुरक्षा का पूरा बंदोबस्त कर सकें।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारुक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर करत हुए बताया कि नेकां महासचिव अली मोहम्मद सागर, नासिर असलम वानी, आगा सैय्यद रुहुल्ला, अब्दुल रहीम राथर, मोहम्मद खलील बंड, इरफान शाह, शमीमा फिरदौस, मोहम्मद शफी उड़ी, चौधरी माेहम्मद रमजान, मुबारक गुल, डॉ. बशीर वीरी, अब्दुल मजीद लारमी, बशारत बुखारी, सैफूदीन बट शुतरु और माेहम्मद शफी को अवैध तरीके से उनके घरों में नजरबंद रखा गया है। डॉ. फारुक अब्दुल्ला ने सात और उमर अब्दुल्ला ने नौ नेताओं की रिहाई के लिए याचिका दायर की है।

अदालत में अपना पक्ष रखते हुए गृह विभाग ने बताया कि याचिका करने वाले सभी संरक्षित व्यक्ति हैं। उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना प्रशासन की जिम्मेदारी है। जम्मू-कश्मीर के समग्र सुरक्षा परिदृश्य को लेकर मिल रही विभिन्न सूचनाओं और दुश्मन मुल्क द्वारा सुरक्षा हालात बिगाड़ने व कानून व्यवस्था का संकट पैदा करने के लिए रची जा रही साजिशों के मद्​देनजर सुरक्षा मुख्यालय ने सभी संरक्षित व्यक्तियों को पूरा एहतियात बरतने और बिना कारण घरों से बाहर न निकलने का परामर्श भी जारी कर रखा है। इन नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखने का न इस समय और न पहले कोई आदेश लागू किया गया है।

प्रशासन कानून के दायरे में रहते हुए ही अपनी जिम्मेदारियाें का निर्वाह कर रही है। याचिका में लगाए गए आरोप सही नहीं हैं। किसी भी जगह कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है। कानून का पूरा पालन किया जा रहा है, इसलिए याचिका को निरस्त किया जाए। 


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