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Jammu-Kashmir : स्पीकर पद से मुक्त करने पर निर्मल खफा, संविधान का उल्लंघन बताया

राज्य प्रशासन ने आनन फानन विधानसभा स्पीकर डॉ. निर्मल सिंह का कार्यकाल समाप्त कर दिया है। कानून विभाग ने भी अधिसूचना जारी कर दी है

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 10:46 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 10:46 AM (IST)
Jammu-Kashmir : स्पीकर पद से मुक्त करने पर निर्मल खफा, संविधान का उल्लंघन बताया
Jammu-Kashmir : स्पीकर पद से मुक्त करने पर निर्मल खफा, संविधान का उल्लंघन बताया

जम्मू, राज्य ब्यूरो । राज्य प्रशासन ने आनन फानन विधानसभा स्पीकर डॉ. निर्मल सिंह का कार्यकाल समाप्त कर दिया है। कानून विभाग ने भी अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन निर्मल सिंह ने प्रशासन के फैसले पर कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने इसे संविधान का उल्लंघन बताते हुए प्रशासनिक फैसला करार दिया।

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डॉ. निर्मल सिंह ने जागरण से बातचीत में कहा कि वह इस मुद्दे पर किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहते हैं। यह मामला देश के संविधान की गरिमा व विधायिका की स्वतंत्रता का है। ऐसे में स्थिति स्पष्ट करने के लिए इस पर चर्चा होनी चाहिए। मौजूदा हालात में जम्मू कश्मीर के स्पीकर पद को लेकर प्रशासन का फैसला अस्पष्ट है।

डॉ. निर्मल सिंह को उप राज्यपाल जीसी मुमरू के शपथ ग्रहण समारोह में बतौर स्पीकर बुलाया गया था। इसके बाद जम्मू में चार नवंबर को दरबार खुलने के दिन डॉ. निर्मल ने विधानसभा में कामकाज का जायजा लेने के लिए बैठक भी की थी। अब अचानक प्रशासन की ओर से 31 अक्टूबर के प्रभाव से उनका कार्यकाल समाप्त करने का फैसला लिया गया। 10 मई 2018 को जम्मू कश्मीर के संविधान की धारा 57 के तहत डॉ. निर्मल को विधानसभा का स्पीकर बनाया था। इससे पहले वह पूर्व उपमुख्यमंत्री थे।

जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद डॉ. निर्मल के स्पीकर बने रहने पर असमंजस बरकरार था। उनके पद पर बने रहने को लेकर चर्चा भी खूब हुई। डॉ. निर्मल ने कहा कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ है।

स्पीकर बनने के एक माह बाद ही गिर गई थी सरकार

डॉ. निर्मल के स्पीकर बनने के एक महीने बाद भाजपा-पीडीपी सरकार गिर गई थी। राज्यपाल शासन लागू हो गया था। डॉ. निर्मल पद पर बने रहे। 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन का फैसला प्रभावी हो गया। स्पीकर पद पर असमंजस जारी रहा। चार नवंबर को दरबार खुलने के बाद निर्मल ने कार्यालय में कामकाज संभाल लिया।

कानूनी पहलुओं पर किया गौर :

एडवोकेट जनरल ने इस मामले के कानूनी पहलुओं पर गौर करने के बाद स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद डॉ. निर्मल सिंह भंग विधानसभा के स्पीकर पद पर बरकरार नहीं रह सकते हैं। इसके बाद कानून विभाग के सचिव ने कार्यकाल समाप्त का आदेश जारी कर दिया गया।

वाहन लौटाए, जल्द आवास भी छोड़ेंगे :

डॉ. निर्मल सिंह ने रविवार को विधानसभा की ओर से उन्हें दिए सरकारी वाहन लौटा दिए। डॉ. निर्मल जल्द सरकारी आवास छोड़ देंगे।

भाजपा के कुछ नेता थे नाराज

जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद भी डॉ. निर्मल के स्पीकर पद बने रहने पर भाजपा के कुछ नेता नाराज थे। वह चाहते थे कि निर्मल खुद पद मुक्त हो जाएं, लेकिन वह आसीन रहे।

स्पीकर पद पर प्रशासन ने 17 दिन बाद वह फैसला किया है जो 31 अक्टूबर को होना चाहिए था। अब जाकर स्पष्ट किया गया कि जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद स्पीकर के अपने पद पर बने रहना उचित नहीं है।- अंकुर शर्मा, एडवोकेट

जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद निर्मल सिंह को स्पीकर पद छोड़ देना चाहिए था। किसी प्रदेश में नई व्यवस्था प्रभावी होने के बाद पुरानी व्यवस्था समाप्त हो जाती है। ऐसे हालात में इंतजार करने की तुक नहीं बनती है। - प्रो. हरिओम, इतिहास विभाग के सेवानिवृत्त एचओडी

स्पीकर के पद को समाप्त करने को देर से आए दुरस्त आया कदम करार दिया। जब जम्मू कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन चुके हैं तो फिर स्पीकर पद कैसे बना रह सकता था? यह संविधान के प्रावधानों का अपमान था। - हर्षदेव सिंह, चेयरमैन पैंथर्स


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