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Pulwama Terror Attack: इलेक्ट्रॉनिक सर्वेलांस और संयम से पुलवामा की साजिश से उठा पर्दा

पुलवामा हमले की साजिश में शामिल रहे आतंकियों मोहम्मद उमर फारुक मुदस्सर खान और सज्जाद बट के ठिकानों से मिले मोबाइल फोन कारी यासिर के शव के पास से बरामद एक डायरी ने भी मदद की।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 11:29 AM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 11:29 AM (IST)
Pulwama Terror Attack: इलेक्ट्रॉनिक सर्वेलांस और संयम से पुलवामा की साजिश से उठा पर्दा
Pulwama Terror Attack: इलेक्ट्रॉनिक सर्वेलांस और संयम से पुलवामा की साजिश से उठा पर्दा

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पुलवामा हमले में जैश ए मोहम्मद की साजिश की पुष्टि चंद ही मिनट में आत्मघाती हमलावार आदिल डार के वायरल हुए वीडियो से हो गई थी। वीडियो के अलावा जांच एजेंसियों के पास इस साजिश से पर्दा हटाने का कोई सुराग नहीं था। बड़े साजिशकर्ताओं के पाकिस्तान में छिपे और वारदात को अंजाम देने वाले आतंकी कमांडरों के मारे जाने के कारण जांच एजेंसियों के हाथ खाली थे। ऐसे में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने इलेक्ट्रॉनिक सर्वेलांस के सहारे संयम के साथ जांच को आगे बढ़ाया और पूरी तरह डेड केस की तमाम परतें उघेड़कर रख दी।

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नियमानुसार, किसी भी मामले में जांच एजेंसी को आरोपपत्र 90 दिन के भीतर दाखिल करना होता है पर खास परिस्थितयों में इसमें राहत दी जाती है। पुलवामा जैसे बड़े मामले की जांच में पुलवामा हमले की जांच में शामिल एनआइए अधिकारी ने कहा कि हमें हर हाल में साजिश की तह तक जाना था। विस्फोटक कहां से आया, हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकी किस रास्ते से दाखिल हुए, उनका गाइड कौन था? यह सब सवाल परेशानी का कारण बने थे। पुलवामा हमले की साजिश में शामिल ज्यादातर आतंकी कमांडर मारे गए। ऐसे में हमले की जांच की चुनौती बढ़ती जा रही थी। यह हमारे संयम और अधिकारियों की काबिलियत का भी इम्तेहान था।

एनआइए की चुनौतियां

- पुलवामा के मुख्य षड्यंत्रकारी पाकिस्तान में छिपे थे

- हमले में शामिल बड़े कमांडर सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारे गए

- आतंकियों के मददगारों का भी नहीं था कोई सुराग

आतंकियों के मददगार किए चिह्नित: उन्होंने कहा कि हमने दक्षिण कश्मीर में विशेषकर पुलवामा और उससे सटे इलाकों में जैश के कुछ ओवरग्राउंड वर्कर (मददगार) को जम्मू कश्मीर पुलिस की मदद से चिह्नित किया। इसके अलावा कश्मीर में पहले हुए कुछ आत्मघाती हमलों की साजिश के सिलसिले में पकड़े गए जैश के मददगारों से भी पूछताछ की। इस प्रक्रिया में हमने कुछ सुराग जुटाए और साजिश में लिप्त आरोपितों को चिह्नित कर लिया। अब उनकी गिरफ्तारी बड़ी चुनौती थी। बिना ठोस सुबूतों के उन्हें गिरफ्तार करना ठीक नहीं था

सोशल मीडिया पर भी रखी निगरानी: इसलिए उनकी गतिविधियों की निगरानी की, सोशल मीडिया एकाउंट्स पर भी नजर रखी गई। इसके अलावा पुलवामा हमले की साजिश में शामिल रहे आतंकियों मोहम्मद उमर फारुक, मुदस्सर खान और सज्जाद बट के ठिकानों से मिले मोबाइल फोन, कारी यासिर के शव के पास से बरामद एक डायरी ने भी मदद की। उन्होंने बताया कि हमने आरोपितों के सोशल मीडिया एकाउंट, मोबाइल फोन की काल डिटेल का ब्यौरा जुटाया और मामला हल कर लिया। अभी भी इस मामले की जांच जारी है। आने वाले दिनों में कुछ और गिरफ्तारियां भी होंगी। 


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