Kashmir Terror Funding : टेरर फंडिंग मामले में एनआइए ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के कई ठिकानों पर मारे छापे
Kashmir Terror Funding पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के जरिए दुबई तुर्की जैसे देशों से फंड्स लेकर जमात-ए-इस्लामी संगठन लश्कर-ए-तैयबा हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की मदद कर रहा था।आज जो कश्मीर घाटी के विभिन्न इलाकों में छापे मारे गए हैं वह भी इसी कड़ी का हिस्सा है।
श्रीनगर, जेएनएन : राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआइए ने एक बार कश्मीर में छापेमारी की है। इस बार यह छापेमारी टेरर फंडिंग मामले में की गई है। टीम के सदस्य बड़गाम और शोपियां में स्थित प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) से जुड़े लोगों के घरों व कार्यालयों में पहुंचे और तलाशी शुरू कर दी। सूत्रों का कहना है कि टीम के सदस्यों ने एक दर्जन से अधिक जगहों पर एक साथ सुबह ये छापेमारी की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार टेरर फंडिंग मामले की जांच कर रही एनआइए की टीमें पुलिस सहित अन्य सुरक्षाबलों के साथ बुधवार को बड़गाम और शोपियां पहुंची और एक दर्जन से अधिक जगहों पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया। जिन लोगों के घरों व कार्यालयों में छापेमारी की गई है, उनके जमात-ए-इस्लामी संगठन से जुड़े होने की बात कही जा रही है। आपको बता दें कि कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए टेरर फंडिंग में इस संगठन का नाम आने पर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अभी छापेमारी का सिलसिला जारी है।
आपको बता दें कि इससे पहले इसी वर्ष अगस्त में एनआइए की टीम ने जम्मू व कश्मीर संभाग में जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ 61 तलाशी अभियान चलाए थे। ये छापेमारी श्रीनगर, बडगाम, गांदरबल, बारामूला, कुपवाड़ा, बांडीपोर, अंनतनाग, शोपियां, पुलवामा, कुलगाम, रामबन, डोडा, किश्तवाड़ और राजौरी में की गई थी। एनआइए सूत्रों का कहना है कि जांच में यह बात सामने आई कि यह संगठन हेल्थ और एजुकेशन के नाम पर मिलने वाली फंडिंग का इस्तेमाल कश्मीर में आतंकी संगठनों की मदद के लिए कर रहा था। यह सब पाकिस्तान की मदद से हो रहा था।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के जरिए दुबई, तुर्की जैसे देशों से फंड्स लेकर जमात-ए-इस्लामी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की मदद कर रहा था। आज जो कश्मीर घाटी के विभिन्न इलाकों में छापे मारे गए हैं, वह भी इसी कड़ी का हिस्सा है। एनआइए अधिकारी ने कहा कि छापामारी की प्रक्रिया पूरी होने पर ही इस बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
आतंकवादियों का समर्थक रहा है संगठन : जमात-ए-इस्लामी संगठन का गठन वर्ष 1941 में किया गया था। इस संगठन की कश्मीर की राजनीति में भी अहम भूमिका रही। यही नहीं लोगों में अपनी पैठ बनाने के साथ वर्ष 1971 से इस संगठन ने कई बार अपने प्रतिनिधि चुनावी मैदान में उतरे परंतु अभी एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाया। जमात-ए-इस्लामी काफी लंबे समय से कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की मुहिम भी चला रहा है। जांच में यह बात सामने भी आई कि घाटी में सक्रिय कई आतंकी संगठन जमात के मदरसों और मस्जिदों में कई बार पनाह भी ले चुके हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि यह जमात दरअसल हिजबुल मुजाहिदीन का ही राजनीतिक चेहरा है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने ही हिजबुल मुजाहिदीन को खड़ा किया है और उसे हर तरह की मदद करता है।