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Ramnagar Children Death Case: पीडि़त परिवारों को क्यों न दिया जाए तीन-तीन लाख रुपये मुआवजा

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को मुआवजे के लिए सही पाया और जम्मू-कश्मीर मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 11:46 AM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 11:46 AM (IST)
Ramnagar Children Death Case: पीडि़त परिवारों को क्यों न दिया जाए तीन-तीन लाख रुपये मुआवजा
Ramnagar Children Death Case: पीडि़त परिवारों को क्यों न दिया जाए तीन-तीन लाख रुपये मुआवजा

जम्मू, राज्य ब्यूरो : ऊधमपुर जिले के रामनगर में पिछले साल दिसंबर और इस साल जनवरी में घटिया दवाई पीने से 11 बच्चों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जम्मू-कश्मीर सरकार को पीडि़त परिवारों को मुआवजा न देने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश खजूरिया ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष याचिका दायर कर पीडि़त परिवारों को मुआवजा देने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। आयोग ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस भेजकर कहा है कि क्यों न आयोग हर पीडि़त परिवार को तीन-तीन लाख रुपये देने की सिफारिश करे, जिन बच्चों की खांसी की दवा पीने से मौत हो गई।

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खजूरिया ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण बच्चों की मौत हुई। इससे पहले आयोग ने 11 जून 2020 को आदेश जारी कर जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को नोटिस जारी कर इस मामले की रिपोर्ट मांगी थी। आयोग के निर्देश पर एक जुलाई को स्वास्थ्य विभाग जम्मू-कश्मीर ने रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि ड्रग एंड फूड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन की टीम ने मामले की जांच की। इसमें 33 सैंपल इकट्ठे किए गए। आयोग ने रिपोर्ट पर विचार करने के बाद पाया कि ड्रग विभाग ने लापरवाही बरती और घटिया दवाइयों की नियमित तौर पर जांच नहीं की। आयोग ने इस मामले को मुआवजे के लिए सही पाया और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। आयोग ने यह निर्देश भी दिए कि लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट भी सौंपी जाए।

यह था मामला : पिछले साल दिसबंर से लेकर जनवरी महीने तक रामनगर तहसील के विभिन्न गांवों से एक दर्जन से अधिक बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। अचानक इतने बच्चे बीमार होने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। सरकार ने इसकी जांच के लिए कमेटी गठित की, लेकिन कुछ भी पता नहीं चला। इसके बाद पीजीआइ चंडीगढ़ के अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की टीम ने भी इसकी जांच की। टीम ने पाया था कि हिमाचल की मैसर्स डिजिटल विजन फार्मास्यूटिकल कंपनी द्वारा बनाए गए कोल्ड सिरप में डायथलीन ग्लाइकोल पाया गया था। ड्रग टेङ्क्षस्टग लैब ने पाया था कि यह सिरप घटिया क्वालिटी का है। कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, लेकिन मृतक बच्चों के परिजनों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया। 


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