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खबर का असरः जम्मू हाईकोर्ट परिसर को शिफ्ट करने के मामले में एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जजों के बेंच ने इस आवेदन पर सुनवाई की और नोटिस जारी कर एक महीने में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 11:45 AM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 11:45 AM (IST)
खबर का असरः जम्मू हाईकोर्ट परिसर को शिफ्ट करने के मामले में एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट
खबर का असरः जम्मू हाईकोर्ट परिसर को शिफ्ट करने के मामले में एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

जम्मू, जागरण संवाददाता : बाहु क्षेत्र के जंगल में हजारों पेड़ों की कुर्बानी देकर जानीपुर स्थित हाईकोर्ट परिसर को शिफ्ट करने की चल रही तैयारी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) सक्रिय हो गया है। ट्रिब्यूनल ने जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी व प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट को नोटिस जारी कर इस प्रक्रिया की पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

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एनजीटी के निर्देश से दैनिक जागरण का अभियान रंग लाया है। जागरण ने चार नवंबर से नौ नवंबर तक बाहु रैका के जंगल की पुकार अभियान चलाया था। इसमें जम्मू शहर के मौजूदा एयर क्वालिटी इंडेक्स के बीच पेड़ों की कटाई से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को उजागर किया गया था। इससे प्रभावित होकर दो छात्रों आविन कुमार व सत्यम अरोड़ा ने एनजीटी में आवेदन दायर कर मांग की थी कि जब तक ट्रिब्यूनल इस मामले पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लेता, हाईकोर्ट परिसर के लिए जम्मू तहसील के बाहु व रैका में 813 कनाल व 13 मरला जमीन अलाट करने की प्रक्रिया रोकी जाए।

आवेदन में कहा गया कि कानून के तहत किए गए प्रावधानों का उल्लंघन कर वन विभाग की जमीन का हाईकोर्ट परिसर निर्माण के लिए इस्तेमाल हो रहा है, लिहाजा इस पर रोक लगाई जाए। आवेदन में कई औषधीय पौधों के हटने से होने वाले नुकसान का हवाला दिया गया था। ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जजों के बेंच ने इस आवेदन पर सुनवाई की और नोटिस जारी कर एक महीने में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

परिसर शिफ्ट करने के प्रस्ताव के विरोध में हड़ताल पर हैं वकील: जानीपुर स्थित हाईकोर्ट परिसर को बाहु क्षेत्र में शिफ्ट करने के प्रस्ताव के विरोध में वकील कामछोड़ हड़ताल पर हैं। जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपनी मांग को लेकर पहली नवंबर को अनिश्चितकाल के लिए वर्क सस्पेंड रखने का एलान किया था। वकीलों ने साफ किया है कि जब तक इस प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जाता, उनकी हड़ताल जारी रहेगी।


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