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Kashmir Lodckdown 4.0: घाटी में आवारा कुत्तों की भूख मिटाने सामने आई एनजीओ, लॉकडाउन में पहुंचा रहे खुराक

Kashmir Lockdown 4.0 हीलिंंग पैट और वेलफेयर फाॅर कश्मीर एनिमल्स ने मिलकर आवारा कुत्तों के लिए भोजन जुटाने का बंदोबस्त किया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 02:52 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 03:50 PM (IST)
Kashmir Lodckdown 4.0: घाटी में आवारा कुत्तों की भूख मिटाने सामने आई एनजीओ, लॉकडाउन में पहुंचा रहे खुराक
Kashmir Lodckdown 4.0: घाटी में आवारा कुत्तों की भूख मिटाने सामने आई एनजीओ, लॉकडाउन में पहुंचा रहे खुराक

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। घाटी में कोविड-19 के लाॅकडाउन में भूख से बेहाल आवारा कुत्तों को बचाने व उनके लिए खाना जुटाने की जिम्मेदारी विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने संभाल रखी है। ये लोग रोजाना शहर के विभिन्न हिस्सों में घूमते हुए आवारा कुत्तों का खाना खिला रहे हैं। अगर कोई कुत्ता बीमार है तो उसके लिए आवश्यक उपचार का भी बंदोबस्त यही एनजीओ कर रही है।

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हीलिंंग पैट और वेल्फेयर फाॅर कश्मीर एनिमल्स नामक दो गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ता रोजाना एक हजार के करीब आवारा कुत्तों को खाना खिला रहे हैं। लाॅकडाउन से पहले आवारा कुत्ते स्थानीय होटलों, रेस्तरां में बचे खाने पर निर्भर रहते थे। स्थानीय लोग भी अकसर इन्हें खाना डालते थे, लेकिन लाॅकडाउन के कारण इनके भोजन का यह जरिया बंद हो गया। भूख से कई जगह आवारा कुत्तों की मौत भी हुई।

हीलिंंग पैट और वेलफेयर फाॅर कश्मीर एनिमल्स ने मिलकर आवारा कुत्तों के लिए भोजन जुटाने का बंदोबस्त किया। इन संस्थाओं ने वादी में गोश्त और पोल्ट्री उत्पादों की बिक्री से जुड़ी दुकानों के आलवा कुत्तों के लिए पैकेज्ड डॉग फूड बेचने वाली दुकानों से संपर्क किया ताकि आवारा कुत्तों के लिए खाना जुटाया जा सके।

हीलिंग पैट के अध्यक्ष दाऊद अहमद ने कहा कि हमारी संस्था मुख्य तौर पर घोड़ों, गायों और कुत्तों के कल्याण के लिए ही काम करती है। गाय-घोड़ा कहीं आवारा नहीं घूम रहा है। उन्हें उनका चारा मिल रहा है। वादी में आवारा कुत्तों की तादाद बहुत ज्यादा है। ये अपने खाने के लिए होटल, रेस्तरां व आम लोगों के घरों में बचे खाने पर ही निर्भर करते हैं। लाॅकडाउन के कारण यह भूखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं। हमने कश्मीर एनिमल वेलफेयर के साथ इस मुद्दे पर समन्वय स्थापित किया। शहर के उन इलाकों को चिन्हित किया जहां अावारा कुत्ते सबसे ज्यादा संख्या में हैं।

दाऊद अहमद ने बताया कि हमने यहां कसाइयों, पोल्ट्री विक्रेताओं को पालतू जानवरों की डिब्बा बंद खुराक बेचने वाले कई स्टोर मालिकों से संपर्क किया। हहम पेडग्री जैसे डॉगफूड को मुर्गे या भेड़ के गोश्त में मिलाते हैं और कुत्तों को खिला रहे हैं। बेशक इससे उन्हें पूरा पोषण नहीं मिलता हो, लेकिन उनकी भूख तो किसी हद तक मिटती है।

निगहत जान नामक एक कार्यकर्ता ने बताया कि जब हम इन भूखे बेजुबान जानवरों को खिलाते हैं तो हमें लगता कि हम अपनी रूह को कुछ खिला रहे हैं। सुकून महसूस होता है। जानवरों की हालत लाॅकडाउन से बहुत दयनीय हो चुकी है। ये जानवर भी खुदा की बनायी कायनात का हिस्सा हैं, हमें इनका ध्यान रखना चाहिए। यह हमारी नैतिक जिम्मेदार भी है।


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