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युवाओं की भागीदारी से लिखी जा रही नव जम्मू-कश्मीर की तस्वीर, अनुच्छेद 370 हटाने के बाद योजनाओं का मिल रहा लाभ

मुमकिन योजना से जम्मू कश्मीर के 18 से 35 साल के बेरोजगार युवाओं को छोटे व्यावसायिक वाहन सस्ती दर पर खरीदने में मदद की जाती है।अनुच्छेद 370 से आजादी के बाद केंद्र्र सरकार प्रदेश के युवाओं को मुख्य धारा से जोडऩे में जुटी है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 03 Apr 2022 02:00 PM (IST)Updated: Sun, 03 Apr 2022 02:00 PM (IST)
युवाओं की भागीदारी से लिखी जा रही नव जम्मू-कश्मीर की तस्वीर, अनुच्छेद 370 हटाने के बाद योजनाओं का मिल रहा लाभ
जम्मू कश्मीर में दूध, मटन और पोल्ट्री उत्पादन में आत्मनिर्भर के करीब दिख रहा है।

जम्मू, नवीन नवाज। मुजफ्फर वानी अक्सर सोचता था कि कब दूसरे की टैक्सी चलाने से पीछा छूटे और वह खुद की गाड़ी का मालिक बने, क्योंकि उसके लिए परिवार का पेट पालना और दो बेटियों की पढ़ाई का खर्च उठाना दुश्वार हो रहा था। फिर एक दिन मुजफ्फर के एक दोस्त ने बताया कि तुम्हारे सपनों को हकीकत बनाना मुमकिन है और बस तुम्हें 'मुमकिन' योजना की मदद लेनी चाहिए। आज वह एक व्यावसायिक वाहन का मालिक है। रामबन और अन्य आतंक से प्रभावित रहे जिलों के सैकड़ों युवा आज जम्मू कश्मीर में आए बदलाव के कारण खुली आंखों से न केवल सपने देख रहे हैं, बल्कि उन्हें सच कर विकास की नई इबारत लिख रहे हैं।

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मुमकिन योजना से जम्मू कश्मीर के 18 से 35 साल के बेरोजगार युवाओं को छोटे व्यावसायिक वाहन सस्ती दर पर खरीदने में मदद की जाती है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस योजना को बीते साल ही शुरू कराया था अनुच्छेद 370 से आजादी के बाद केंद्र्र सरकार प्रदेश के युवाओं को मुख्य धारा से जोडऩे में जुटी है। इसके तहत कौशल विकास और शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं और इसका असर अब स्पष्ट दिखने भी लगा है। रोजगार के अवसर मिलने से युवा अब खुद की हालत सुधार रहे हैं, अन्य को भी मौका दे रहे हैं।

ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण मेरे जीने का सहारा बना आतंकियों का गढ़ रहे दक्षिण कश्मीर के शोपियां में जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर हांजीपोरा हरमेन की अफरोजा जान को गरीबी के कारण आठवीं के बाद पढ़ाई छोडऩी पड़ी थी। एक दिन उसे जम्मू कश्मीर बैंक की ओर से शोपियां में चलाए जा रहे ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआइ) का पता चला। अफरोजा ने कहा कि मैंने 2018 में सिलाई कढ़ाई की ट्रेनिंग शुरू की थी। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद मैंने किराये पर एक कमरा लेकर कटिंग-टेलरिंग का काम शुरू कर दिया। इसके लिए मैंने दो लाख रुपये उधार लेकर निवेश किया था। आज हांजीपोरा हरमेन के बाजार में शाह टेलर्स नाम से मेरी दुकान है। आज मैं दो लोगों को और नौकरी दे रही हूं। इस प्रशिक्षण ने मेरी तकदीर बदल दी।

दूध, मटन और पोल्ट्री उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहा प्रदेश :

जम्मू कश्मीर में दूध, मटन और पोल्ट्री उत्पादन में आत्मनिर्भर के करीब दिख रहा है। कुछ वर्ष पूर्व तक वह पड़ोसी राज्यों पर अधिक निर्भर था। पशुपालन विभाग डेयरी इकाइयों, दूध-एटीएम, दूध-वैन आदि पर 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रहा है। प्रदेश में 2200 डेयरियां स्थापित की जा चुकी हैं। भेड़ पालन को प्रोत्साहित करने के लिए दो हजार लघु भेड़पालन फार्म स्थापित किए गए हैं। पोल्ट्री विकास योजना के तहत 220 पोल्ट्री इकाइयां और चारा विकास योजना के तहत 800 चारा इकाइयां स्थापित की गई हैं। मछली उत्पादन में भी एक ही वर्ष में 2000 टन की वृद्धि हुई है। तवी, चिनाब, झेलम समेत प्रदेश में बहने वाली विभिन्न नदियां-नालों के अलावा झीलें ट्राउट, कतला, रोहू और महाशीर जैसी मछलियों के प्रमुख स्रोत हैं।

पर्यटन और बागवानी ने भी खोल दी नई राह :

जम्मू कश्मीर पर्यटक ग्राम नेटवर्क योजना के तहत चिन्हित 75 गांवों में सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। इसके लिए ग्रामीणों को होम स्टे, अन्य साजो सामन जैसे बुनियादी ढांचे के लिए 10 लाख रुपये आवंटित किए जा रहे हैं। बागवानी क्षेत्र का वार्षिक उत्पादन भी 10 हजार करोड़ रुपये से च्यादा हो गया है। जम्मू कश्मीर में करीब 7.5 लाख परिवार या फिर यूं कहा जा सकता है कि करीब 35 लाख लोग इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा कृषि में अत्याधुनिक उपकरणों और मशीनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 100 किसानों को ट्रैक्टर व स्थानीय पंचायतों के लिए 1035 थ्रैशर भी मंजूर किए हैं।

4500 युवा क्लब जगा रहे उम्मीद :

मिशन यूथ के तहत 4500 युवा क्लब बनाए गए हैं। सरकार ने युवा पोर्टल लांच करने के अलावा 10 जिला युवा केंद्रों को मंजूरी दी है। इसके अलावा, लड़कियों और लड़कों दोनों के लिए सुपर-75 के तहत 150 छात्रों का कोचिंग के लिए चुना गया है। क्रिकेट, फुटबाल, वालीबाल और बास्केटबाल के लिए प्रतिष्ठित रोलिंग ट्राफी भी शुरू की गई है।

जम्मू कश्मीर में बेरोजगारी दर घटी :

सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल अक्टूबर में जम्मू कश्मीर में बेरोजगारी की दर 22 प्रतिशत से घटकर 13.2 प्रतिशत रह गई है। जम्मू कश्मीर में बेरोजगारी देश के कई राज्यों से बहुत कम है। राजस्थान में बरोजगारी की दर 32.3 और हरियाणा में 31 प्रतिशत है। 


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