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अब मजबूत नींव पर खड़ी होगी देश के भविष्य की इमारत, नई शिक्षा नीति हमारे देश की तस्वीर बदल देगी

जम्मू विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर अनुराधा गोस्वामी का कहना है कि एम.फिल की अनिवार्यता को समाप्त कर सरकार ने बहुत बेहतर किया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 03:31 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 03:31 PM (IST)
अब मजबूत नींव पर खड़ी होगी देश के भविष्य की इमारत, नई शिक्षा नीति हमारे देश की तस्वीर बदल देगी
अब मजबूत नींव पर खड़ी होगी देश के भविष्य की इमारत, नई शिक्षा नीति हमारे देश की तस्वीर बदल देगी

जम्मू, जागरण संवाददाता: लंबे समय के बाद ही सही लेकिन जो नई शिक्षा नीति देश में आई है वह मजबूत नींव पर देश के भविष्य की इमारत को खड़ा करेगी। पहली बार किसी सरकार ने प्राथमिक शिक्षा से आगे बढ़ते हुए फाउंडेशनल यानि मूलभूत शिक्षा के महत्व को समझ़ा। यह फाउंडेशनल शिक्षा बच्चों के भविष्य में नींव का काम करेगी और इसी के ऊपर देश का मजबूत भविष्य खड़ा होगा।

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यह कहना है नई शिक्षा नीति को लेकर शिक्षाविद्धों का जो इसे भारत के विश्व गुरू बनने की एक बड़ा कदम मान रहे हैं। जम्मू कश्मीर टीचर्स फोरम के प्रधान कुलदीप सिंह बंदराल का कहना है कि नई शिक्षा नीति भी भारत के विश्व गुरू बनने की दिशा में ही एक कदम है। लंबे समय से शिक्षा क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता था और अब वह समय आ गया जब शिक्षा के क्षेत्र में भी बदलाव आया। यह कहना है। 5 + 3 + 3 + 4 की नई पाठयक्रम संरचना को लागू कर सरकार ने अपनी दूरदर्शी का परिचय दिया है। इसमें तीन से छह वर्ष के बच्चों को प्री-स्कूली शिक्षा मिलेगी जबकि अगले दो वर्ष छह से आठ वर्ष में बच्चा पहली और दूसरी कक्षा की पढ़ाई करेगा। इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि बच्चों को उनकी मातृभाषा भी पढ़ाई जाएगी जो पहले नहीं पढ़ाई जाती है।

अगले तीन वर्ष यानि 8 - 11 के बच्चे तीसरी से पांचवीं और उसके बाद 11 से 14 वर्ष के बच्चे छठी से आठवीं और 14 से 18 वर्ष के बच्चे नौवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी करेंगे। इसके अलावा छठी कक्षा के बाद वोकेशनल कोर्स शुरू किया जाना भी एक अच्छा कदम है जो आत्मनिर्भर भारत की नींव तैयार करेगा। वहीं हायर सेकेंडरी स्कूल में लेक्चरर माधवी खजूरिया का कहना है कि कालेजाें में विद्यार्थी अब अपनी मनमर्जी से अपने विषय का चयन कर सकेंगे। यानि साइंस का विद्यार्थी चाहे तो वह अपना पसंदीदा आर्ट्स का भी कोई विषय रख सकता है।

दुनिया के बहुत से देशों में बच्चों को अपने पंसदीदा रखने की छूट काफी पहले से ही है लेकिन हमारे देश में ही बच्चों को जबरन ऐसा कंबीनेशन दे दिया जाता है जो आगे चलकर उसके लिए मुसीबत बन जाता है। वहीं जम्मू विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर अनुराधा गोस्वामी का कहना है कि एम.फिल की अनिवार्यता को समाप्त कर सरकार ने बहुत बेहतर किया। अब जो छात्र शोध में जाना चाहते हैं, वे चार वर्ष का ग्रेजुएशन कोर्स करेंगे और जो ग्रेजुएशन के बाद नौकरी करना चाहे हैं, वे तीन वर्ष में अपनी पढ़ाई पूरी कर निकल जाएं। इससे दोनों वर्गों का भला होगा।

स्टेट इंस्टीट्यूट आफ एजूकेशन से सेवानिवृत रिसर्च आफिसर और निशंक सोसायटी आफ एजूकेशन, आर्ट एंड कल्चरा के सदस्य राजेंद्र खजूरिया का कहना है कि यह नया सिस्टम नॉलेज बेस सिस्टू हैं। इससे वे बच्चे निकलेंगे जिन्हें प्रेक्टिकल नॉलेज होगी। सिर्फ किताबें पढ़कर नंबर लेने वाली पौध नहीं तैयारी होगी बल्कि वे फौज निकलेगी जो हुनरमंद होगी, शिक्षित होगी और अपने अपने क्षेत्र में महारथी होंगे। यह शिक्षा नीति हमारे देश की तस्वीर बदल देगी। 


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