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पुराने कॉलेजों पर ध्यान नहीं नए खोलने के लिए जल्दबाजी

राज्य ब्यूरो, जम्मू : उच्च शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाने की दिशा में आगे बढ़ती सरकार का

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 02:38 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 02:38 AM (IST)
पुराने कॉलेजों पर ध्यान नहीं नए खोलने के लिए जल्दबाजी
पुराने कॉलेजों पर ध्यान नहीं नए खोलने के लिए जल्दबाजी

राज्य ब्यूरो, जम्मू : उच्च शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाने की दिशा में आगे बढ़ती सरकार का ध्यान बुनियादी ढांचे से पीछे हटने लगा है। पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में 13 नए कॉलेज खोलने के बाद अब राज्यपाल प्रशासन ने 40 नए कॉलेज खोलने पर अपनी मुहर लगा दी है। अधिक से अधिक कॉलेज खोलने की होड़ में पहले खोले कॉलेजों में बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवाने की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। इन कॉलेजों में पर्याप्त कंाबीनेशन नहीं है। इमारतें नहीं हैं। ये कॉलेज हायर सेकेंडरी स्कूलों या किराये की इमारतों में चल रहे है। 30 से अधिक कॉलेजों के पास बुनियादी ढांचा नहीं है। 40 नए कॉलेजों में 20 इस अकादमिक सत्र और 20 2020-21 में खुलेंगे। छात्र संगठनों ने इसी सत्र से सारे कॉलेज खोलने पर जोर देना शुरू किया है। राज्य में पहले से स्थापित 113 कॉलेजों में से 30 से अधिक के पास इमारतें व ढांचा नहीं। राज्य भर में मात्र 12 कॉलेजों के पास ही नेशनल एक्रीडेशन एंड असेसमेंट काउंसिल (नैक) की मान्यता है। जम्मू कश्मीर के डिग्री कॉलेजों में कांट्रेक्ट पर एक हजार से अधिक का स्टाफ नियुक्त है। जमीनी सतह पर बुनियादी ढांचा मजबूत करने के लिए कदम नहीं उठाए गए। जब भी सरकार पर जन प्रतिनिधियों का दवाब बनता है तो नए कॉलेज खोलने की घोषणा कर दी जाती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि उच्च शिक्षा को लेकर कोई नीति नहीं बनाई गई। समय समय पर बनने वाली सरकारों के बीच ही तालमेल की कमी नजर आती रही है। पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री रहे नईम अख्तर ने विधानसभा में कहा था कि सरकार नए कालेजों नहीं खोलेगी, पहले पुराने स्थापित कालेजों में ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाएगी। उसके बाद जैसे ही अल्ताफ बुखारी ने शिक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला तो उन्होंने 17 नए कालेज खोलने की घोषणा कर दी। अब यह मांग उठनी शुरू हो गई है कि सभी चालीस कालेज इसी सत्र से शुरू किए जाए। ये कालेज भी नजदीकी हायर सेकेंडरी स्कूलों या किराए की इमारतों में ही खुलेंगे। उच्च शिक्षा विभाग नए कोर्स शुरु करने में नाकाम रहा है। इतनी अधिक संख्या में कालेजों के खुलने के बावजूद शहर के कालेजों में विद्यार्थियों की संख्या में कमी नहीं आने का कारण यही है कि पिछले दस वर्षो के दौरान खोले गए कालेजों में पर्याप्त कांबीनेशन ही नहीं है। विद्यार्थियों को जम्मू या श्रीनगर शहरों के गिने चुने कॉलेजों में ही दाखिला लेना पड़ता है। ये वो कॉलेज है जो पचास या एक सौ वर्ष पहले स्थापित किए गए थे।

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