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Jammu Kashmir : गुपकार घोषणा के साथ आई नेकां की सलाहकार समिति

नेशनल कांफ्रेंस की राजनीतिक सलाहकार समिति ने भी शनिवार को पार्टी प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला को गुपकार घोषणापत्र पर हामी भर दी है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 11:10 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 11:10 AM (IST)
Jammu Kashmir : गुपकार घोषणा के साथ आई नेकां की सलाहकार समिति
Jammu Kashmir : गुपकार घोषणा के साथ आई नेकां की सलाहकार समिति

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : गुपकार घोषणा पत्र के बहाने नेशनल कांफ्रेंस अपनी सियासत को आगे बढ़ाने की हर चाल चल रही है। अब नेशनल कांफ्रेंस की राजनीतिक सलाहकार समिति ने भी शनिवार को पार्टी प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला को गुपकार घोषणापत्र पर हामी भर दी है। यहां तक कि वह इस मुद्दे पर अन्य दलों से भी हां में हां कहलाकर आगे की रणनीति बनाने की फिराक में है। इस संदर्भ में उनका फैसला संगठन के लिए मान्य होगा।

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पांच अगस्त 2019 के बाद नेशनल कांफ्रेंस की राजनीतिक सलाहकार समिति की यह पहली बैठक थी। नेकां मुख्यालय में हुई बैठक में राजनीतिक परिदृश्य में आए बदलाव, संगठनात्मक गतिविधियों और गुपकार घोषणा से जुड़े मुद्दों पर बात हुई। डॉ. फारूक के नेतृत्व में बीते सप्ताह पीडीपी, कांग्रेस, माकपा, पीपुल्स कांफ्रेंस और अवामी नेशनल कांफ्रेंस ने चार अगस्त 2019 को घोषित गुपकार घोषणापत्र को फिर से दोहराते हुए उसे एकमात्र राजनीतिक एजेंडा बताया है। समिति की बैठक में पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, पार्टी महासचिव अली मोहम्मद सागर समेत वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया। जम्मू और लद्दाख में नेकां से जुड़े प्रमुख नेताओं ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए बैठक में उपस्थिति जताई है।

नेकां के पूर्व विधायक ने बताया कि डॉ. फारूक ने एक सप्ताह में पार्टी के विभिन्न नेताओं के साथ हुई बैठकों व जम्मू कश्मीर में पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद विभिन्न संगठनों के नेताओं द्वारा उनके साथ किए संपर्क व बातचीत की जानकारी दी। नेकां नेताओं ने अनुच्छेद 370 की बहाली व जम्मू कश्मीर व लददाख के एकीकरण के प्रति अपनी संकल्पबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि केंद्र का यह कदम पूरी तरह असंवैधानिक और जम्मू कश्मीर के देेश में विलय की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने डॉ. फारूक अब्दुल्ला से कहा कि वह केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ पूरे प्रदेश में लोगों के बीच अभियान चलाएं, अन्य दलों को अपने साथ जोड़ें ताकि सभी मिलकर फैसले को रद करा सकें। सदस्यों ने शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से जम्मू कश्मीर की विशिष्ट पहचान को बहाल कराने का हर संभव प्रयास करने का सकंल्प लिया।


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