Move to Jagran APP

चीन की चुनौती का सामना करने को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील में नौसेना केे मार्कोस कमांडोज तैनात

पूर्वी लद्दाख में चीन की चुनौतियों का सामना करने के मुहिम के चलते वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पैंगोंग झील में भारतीय नौसेना के उच्च प्रशिक्षित मार्कोस कमांडोज तैनात किए गए हैं। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील का खासा हिस्सा चीन के पास है।

By VikasEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 05:17 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 12:11 AM (IST)
चीन की चुनौती का सामना करने को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील में नौसेना केे मार्कोस कमांडोज तैनात
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पैंगोंग झील में भारतीय नौसेना के उच्च प्रशिक्षित मार्कोस कमांडोज तैनात किए गए हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो । पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की साजिशों को विफल बनाने के लिए पैंगोंग झील में भारतीय नौसेना के उच्च प्रशिक्षित मार्कोस (मैरीन कमांडो) तैनात किए गए हैं। वह वहां चीन की हर हर गुस्ताखी का जवाब देने को तत्पर हैं। यहां बता दें कि वहां वायुसेना के गरुड़ कमांडो और सेना के पैरा कमांडो को पहले ही इस क्षेत्र में तैनात रखा गया है।

loksabha election banner

पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील का खासा हिस्सा चीन के पास है। वहां नौसेना के कमांडो की तैनाती से दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने के लिए डटी हमारी सशस्त्र सेनाओं को मजबूती मिली है। इसके साथ ही लद्दाख की हाड़ जमा देने वाली ठंड में नौसेना के कमांडो अपनी मारक क्षमता को और बढ़ाएंगे।

सूत्रों के अनुसार पैंगोंग झील में पेट्रोलिंग और सतर्कता का स्तर बढ़ाने के लिए इन मार्कोस को आधुनिक मोटरबोट भी दी जाएंगी।

मार्कोस अर्थात समुद्री कमांडो भारतीय नौसेना की अति प्रशिक्षित इकाई है। यह कमांडो देश के सबसे प्रशिक्षित कमांडो में शुमार हैं और हवा व जमीन के साथ-साथ पानी में लडऩे के लिए भी विशेष तौर पर प्रशिक्षित हैं।

यह कमांडो आतंकवाद और समुद्र के भीतर नौसेना के किसी भी प्रकार के ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्षम हैं। इन्हें कड़े प्रशिक्षण से गुजारा जाता है ताकि वह हर चुनौती से निपट सकें। मार्कोस को पहले से ही कश्मीर की वुल्लर झील में तैनात रखा गया है। वे वहां तैनाती के दौरान आतंकवाद के खिलाफ मुहिम में हिस्सा लेने में दक्ष हुए हैं।

गतिरोध के बाद से एलएसी पर चौकस हैं भारतीय सेनाएं

करीब छह माह से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन से जारी गतिरोध के चलते सर्दियों में भारतीय सेनाओं को अग्रिम मोर्चों पर चौकस रखा गया है।  सेना के स्पेशल फोर्स के पैरा कमांडो भी वहां मुस्तैद हैं। इसके साथ गृह मंत्रालय के अधीन आने वाली फ्रंटियर फोर्स भी वहां तैनात है। फ्रंटियर फोर्स के स्पेशल कमांडो में तिब्बती नागरिक भी शामिल हैं। इस फोर्स ने पूर्वी लद्दाख में ऊंचे क्षेत्रों पर कब्जा जमाकर अपनी स्थिति को मजबूत किया है।

गरुड़ कमांडो पहले से ही मुस्‍तैद

वहीं वायुसेना के गरुड़ कमांडो भी कंधे पर रखकर फायर करने वाले इगला डिफेंस सिस्टम के साथ दुश्मन के फाइटर विमानों को मार गिराने के लिए ऊंची चोटियों पर तैनात हैं। वर्ष 2016 में पठानकोट में आतंकवादी हमले के बाद वायुसेना ने कश्मीर घाटी में गरुड़ कमांडो तैनात किए गए थे। उस समय के थलसेना अध्यक्ष व मौजूदा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत द्वारा बनाई गई रणनीति के तहत गरुड़ कमांडोज भी आतंकवाद विरोधी मुहिम में दक्ष हैं। उन्होंने आतंकियों के मंसूबों को नाकाम बनाते हुए एक अशोक चक्र, तीन शौर्य चक्र व अन्य के वीरता पदक जीते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.