नवरात्रि में है दुर्गाष्टमी-महानवमी का विशेष महत्व, आइए जानिए
अष्टमी और नवमी नौ दिनों तक लगातार चलने वाले व्रत व पूजन महोत्सव के सम्पन्न होने व मनोवांछित फल देने का संकते भी देते है।
जम्मू, जेएनएन। देश भर में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तथा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को धार्मिक आस्था व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे चैत्र नवरात्रि व शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि में दुर्गाष्टमी व महानवमी पूजन का बड़ा ही महत्व है। अष्टमी और नवमी नौ दिनों तक लगातार चलने वाले व्रत व पूजन महोत्सव के सम्पन्न होने व मनोवांछित फल देने का संकते भी देते है। मां दुर्गा की आराधना से व्यक्ति एक सद्गृहस्थ जीवन के अनेक शुभ लक्षणों धन, ऐश्वर्य, पत्नी, पुत्र, पौत्र व स्वास्थ्य से युक्त हो जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष को सहज ही प्राप्त कर लेता है। इतना ही नहीं बीमारी, महामारी, बाढ़, सूखा, प्राकृतिक उपद्रव व शत्रु से घिरे हुए किसी राज्य, देश व सम्पूर्ण विश्व के लिए भी मां भगवती की आराधना परम कल्याणकारी है। इस पूजा में पवित्रता, नियम व संयम तथा ब्रह्मचार्य का विषेश महत्व है।
ज्योतिषचार्य रोहित वशिष्ठ ने बताया कि विष्य पुराण के उत्तर-पूर्व में महानवमी व दुर्गाष्टमी पूजन के विषय में भगवान श्रीकृष्ण से धर्मराज युधिष्ठिर का संवाद मिलता है। जिसमें नवमी व दुर्गाष्टमी पूजन का स्पष्ट उल्लेख है। यह पूजन प्रत्येक युगों, सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग तथा कल्पों व मन्वन्तरों आदि में भी प्रचलित था। मां भगवती सम्पूर्ण जगत् में परमशक्ति अनन्ता, सर्वव्यापिनी, भावगम्या, आद्या आदि नाम से विख्यात हैं। जिन्हें माया, कात्यायिनी, काली, दुर्गा, चामुण्डा, सर्वमंगला, शंकरप्रिया, जगत जननी, जगदम्बा, भवानी आदि अनेक रूपों में देव, दानव, राक्षस, गन्धर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मनुष्य आदि अष्टमी व नवमी को पूजते हैं। मां भगवती का पूजन अष्टमी व नवमी को करने से कष्ट, दुख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती।
दुर्गाष्टमी पर हुआ कंजक पूजन
मा दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना के बाद श्रद्धालुओं ने कंजक पूजन कर व्रत संपन्न किए। इस अवसर पर घर में धन-धान्य की वर्षा के लिए हवन यज्ञ भी करवाए गए। नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। इनकी शक्ति अमोघ और फलदायिनी है। अपने भक्तों के लिए अन्नपूर्णा स्वरूप मानी जाने वाली मां गौरी की विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद श्रद्धालुओं ने घरों व मंदिरों में कन्या पूजन कर मां की कृपा प्राप्त की। माता को नारियल, हलवे का भोग लगाने के साथ घरों में हवन-यज्ञ का आयोजन भी हुआ।
बावे माता के दरबार उमड़े श्रद्धालु
दुर्गाष्टमी पर सारा शहर मां शक्ति की महिमा व भक्ति में सराबोर नजर आ रहा है। बावे वाली माता मंदिर सहित शहर के अन्य मंदिरों में भक्तों की भीड़ सुबह तड़के से लगी है। माता का स्वरूप धारण कर कई नन्हीं कन्याएं मंदिर परिसर के बाहर बैठी हुई हैं, जिनकी श्रद्धालु पूजन कर रहे हैं। इस अवसर पर मन्नत चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक है। मंदिर प्रांगण में कई लंगर भी लगाए गए हैं। वीरवार को रामनवमी के दिन भी कई श्रद्धालु कन्या पूजन करने के बाद घरों में लगाई की माता की साख को तवी नदी में प्रवाहित करेंगे। हालांकि रामनवमी व दशमी एक ही दिन है परंतु श्रद्धालु साढ़े पांच बजे से पहले घरों में स्थापित साख चलते जल में प्रवाहित कर सकते हैं।