कोरोना से लड़ने का जुनून: नेशनल हेल्थ मिशन के कई कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को कर रहे जागरूक
रोहित सेठ का कहना है कि गांव के बहुत से लोग शहरों में काम करते थे। अब लॉकडाउन के चलते यह लोग वापस गांवों को लौट आए हैं।
जम्मू, रोहित जांडियाल। एक तरफ जम्मू-कश्मीर में कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े बढ़ रहे हैं, के मामले बढ़ रहे हैं, वहीं इस संक्रमण को रोकने के लिए भी कई लोग अपना अहम योगदान दे रहे हैं। नेशनल हेल्थ मिशन के कर्मचारी मौसम की परवाह किए बिना गांव-गांव में लोगों को घरों से बाहर न निकलने के प्रति जागरूक कर रहे हैं। उन्हें मास्क और सैनिटाइजर भी दे रहे हैं। भले ही शहरी क्षेत्रों में लोग जागरूकता दिखा रहे हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस संदेश के प्रसार के लिए अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता है। इसीलिए इन कर्मचारियों ने गांवों में लोगों को सचेत करने का बीड़ा उठाया है।
नेशनल हेल्थ मिशन इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रधान रोहित सेठ ने बताया कि उनका साथ कई सरपंच भी दे रहे हें। इनमें चुरता पंचायत के सरंपच सेवानिवृत्त कैप्टन प्यारे लाल शर्मा, जनाखा पंचायत के सरपंच कुलदीप कुमार शर्मा, डंसाल ब्लाक के प्रधान अनिल खजूरिया दे रहे हैं। चिकित्सा केंद्रों में ड्यूटी के बाद गांव में बाहर से आए लोगों को अन्य के साथ संपर्क न बनाने के प्रति सचेत करते हैं। ड्यूटी पूरी हो जाने के बाद गांव-गांव में जाकर लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के प्रति सचेत कर रहे हैं। उन्हें बताते हैं कि अगर उन्हें खांसी, जुकाम है और सांस लेने में दिक्कत है तो वे अस्पताल में जाकर अपनी जांच करवाएं। साथ ही शारीरिक दूरी बनाए रखने की नसीहत दे रहे हैं।
गांव में जागरूकता जरूरीः रोहित सेठ का कहना है कि गांव के बहुत से लोग शहरों में काम करते थे। अब लॉकडाउन के चलते यह लोग वापस गांवों को लौट आए हैं। यह नहीं मालूम है कि कौन कहां से आया है। बाहर भी संक्रमण फैला है। यहां लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में भी जानकारी कम है। बस यही सोच कर उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों का रुख किया। हमारा प्रयास होगा कि इस लॉकडाउन को सफल बनाने में पूरी मदद करें।
डॉक्टरों ने दिए हैं अपने हेल्पलाइन नंबरः मिशन से जुड़े डाक्टरों और कर्मचारियों ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। यह कर्मचारी चौबीस घंटे लोगों की सेवा करने के लिए तत्पर है। लक्ष्य है कि इस समय अस्पतालों में भीड़ न बढ़े। इन नंबरों पर डायल करने के बाद कोई भी उनसे इलाज की सलाह ले सकता है। अगर आवश्यक हुआ तो टीम के सदस्य घर तक पहुंच जाएंगे।
नियमित रूप से संकट में कर रहे मददः कर्मचारी भी कोरोना संक्रमण से लड़ने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इनकी अस्पतालों में ड्यूटी भी है। ब्लॉक प्रधान अनिल खजूरिया का कहना है कि भले ही एहतियात के तौर पर कदम उठाए हों, लेकिन फिर भी संक्रमण का खतरा बना रहता है। बावजूद इसके कर्मचारी नियमित लोगों की मदद कर रहे हैं।