कल की जाएगी नाग देवता की पूजा
जागरण संवाददाता, जम्मू : हमारे शास्त्रों में तिथि को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिस तिि
जागरण संवाददाता, जम्मू : हमारे शास्त्रों में तिथि को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिस तिथि के जो देवता बताए गए हैं, उन देवताओं की पूजा, उपासना उसी तिथि में करने से देवता भक्त से प्रसन्न होते हैं। पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। इस दिन नाग की पूजा से भय तथा काल सर्प योगशमन होता है। जम्मू की बात करें तो यहां लोग भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की ऋषि पंचमी के दिन ही नाग पंचमी मनाते हैं। इस तिथि के अनुसार इस वर्ष यह पर्व 14 सितंबर यानी शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन कई लोग धन धान्य की इच्छा से नाग पंचमी का व्रत भी करते हैं।
श्री कैलख वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि हमारे देश में सभी जीव जंतु को सम्मान दिया जाता हैं। प्रकृति के संतुलन के लिए सभी उत्तरदायी हैं। किसी एक की भी कमी से यह संतुलन बिगड़ जाता हैं। नागपंचमी के दिन भगवान शिव के साथ नाग की पूजा करने से अनेक दोष समाप्त हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि नाग के कई नाम हैं जैसे शेष यानी अनंत, बासुकि, शंख, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, ऊ शंखपाल, कालिया, तक्षक व ¨पगल इन बारह नागों की बारह महीनों में पूजा करने का विधान है। इस दिन भूमि की खोदाई नहीं की जाती नाग पूजा के लिए नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातु से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है। सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। -पारंपरिक रूप से करें नाग पूजा
नाग पंचमी के दिन पारंपरिक रूप से नाग देवता की पूजा करने से फल मिलता है। परिवार के कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद की मांग करते हैं। नाग देवता के दर्शन कर उनका आशीर्वाद अवश्य प्राप्त करें। पूजा के लिए घर की एक दीवार पर गेरू जो कि एक विशेष पत्थर है, से लेप करें। यह दीवार कई लोगों के घर की प्रवेश द्वार होती हैं तो कई की रसोई घर की दीवार। इस छोटे से भाग पर कोयले एवं घी से बने लेप से एक चौकोर डिब्बा बनाया जाता है। डिब्बे के अंदर छोटे-छोटे सर्प बनाए जाते हैं। इस तरह की आकृति बनाकर उसकी पूजा करें। कई परिवारों में यह सर्प की आकृति कागज पर बनाई जाती है। नाग पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन भी करवाएं।
------ अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक न हो तो इस दिन विशेष पूजा का लाभ पाया जा सकता है। जिनकी कुंडली में विषकन्या या अश्वगंधा योग हो, ऐसे लोगों को भी इस दिन पूजा-उपासना करनी चाहिए। जिनको सांप के सपने आते हों या सर्प से डर लगता हो, उन्हें इस दिन नागों की पूजा विशेष रूप से करना चाहिए। अगर आपको सर्प से डर लगता है या सांप के सपने आते हैं तो चांदी के दो सर्प बनवाएं। साथ में एक स्वास्तिक भी बनवाएं। अगर चांदी का नहीं बनवा सकते तो जस्ते का बनवा लीजिए। अब थाल में रखकर इन दोनों सांपों की पूजा कीजिए। दूसरे थाल में स्वास्तिक को रखकर उसकी अलग पूजा कीजिए। नागों को कच्चा दूध जरा-जरा सा दीजिए और स्वास्तिक पर एक बेलपत्र अर्पित करें। पूजा के बाद नागों को ले जाकर शिव¨लग पर अर्पित करें और स्वास्तिक को गले में धारण कर लें। सांपों का डर दूर हो जाएगा और सपने में सांप आना बंद हो जाएंगे।
-----
-कालसर्प दोष भी होता है दूर
नागपंचमी के दिन भगवान शिव के साथ नाग की पूजा करने से अनेक दोष समाप्त हो जाते हैं। विशेष रूप से कालसर्प योग के दुष्परिणाम को दूर करने के लिए नाग पंचमी बहुत अच्छा अवसर है। नाग-पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कालिया-मर्दन लीला हुई थी। ब्रह्माजी द्वारा पंचमी के दिन वरदान दिए जाने व पंचमी के दिन ही आस्तीक मुनि द्वारा नागों की रक्षा किए जाने के कारण पंचमी-तिथि नागों को समर्पित है।