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जम्मू में कल मनाई जाएगी नागपंचमी, नागों की पूजा करने से भय-कालसर्प योग का शमन होता है

श्री कैलख वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते घर में नाग देवता की पूजा अर्चना करें।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 12:02 PM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 12:02 PM (IST)
जम्मू में कल मनाई जाएगी नागपंचमी, नागों की पूजा करने से भय-कालसर्प योग का शमन होता है
जम्मू में कल मनाई जाएगी नागपंचमी, नागों की पूजा करने से भय-कालसर्प योग का शमन होता है

जागरण संवाददाता, जम्मू : डोगरों का पारंपरिक पर्व नागपंचमी 23 अगस्त रविवार को मनाया जाएगा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की ऋषि पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। जम्मू संभाग में नागपंचमी पूरी धार्मिक आस्था और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है।

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हमारे शास्त्रों में तिथि को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिस तिथि के जो देवता बताए गये हैं, उन देवताओं की पूजा उसी तिथि में करने से सभी देवता उपासक से प्रसन्न हो उसकी अभिलाषा को पूर्ण करते हैं। पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भय तथा कालसर्प योग शमन होता है।

नागपंचमी का त्योहार हमें यह बताता हैं कि हमारे देश में सभी जीव जंतु को सम्मान दिया जाता हैं क्योंकि प्रकृति के संतुलन के लिए सभी उत्तरदायी हैं, किसी एक की भी कमी से यह संतुलन बिगड़ जाता हैं। हिन्दू धर्म में नागों को प्राचीन काल से पूजनीय माना गया है। सभी सांप भी हमारे समाज का अभिन्न अंग है। इसीलिए इंसानों को नागों की रक्षा करनी चाहिए और इन्हें अकारण सताना नहीं चाहिए।

श्री कैलख वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते घर में नाग देवता की पूजा अर्चना करें, अगर घर में नाग देवता की प्रतिमा है तो ठीक है नहीं तो शुद्ध मिट्टी के नाग बनाकर पूजन करें अथवा इस दिन नाग देवता की बाम्बी (वर्मी) में श्री फल, दूध, दक्षणिया, मीठा रोट, फूल, फूल माला चढ़ाई जाती हैं। नाग पंचमी का त्योहार नागों का त्योहार होता है, इस दिन पारंपरिक रूप से नाग देवता की पूजा करते हैं। परिवार के कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद की मांग की जाती है। इस दिन नाग देवता के दर्शन किये जाते हैं। इसके बाद पूजा के लिए घर की एक दीवार पर गेरू, जोकि एक विशेष पत्थर है से लेप कर यह हिस्सा शुद्ध किया जाता हैं।

यह दीवार कई लोगों के घर की प्रवेश द्वार होती हैं तो कई के रसोई घर की दीवार, इस छोटे से भाग पर कोयले एवं घी से बने काजल की तरह के लेप से एक चौकोर डिब्बा बनाया जाता हैं। इस डिब्बे के अन्दर छोटे छोटे सर्प बनाये जाते हैं, इस तरह की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती हैं। कई परिवारों में यह सर्प की आकृति कागज पर बनाई जाती हैं कई परिवार घर के द्वार पर चन्दन से सर्प की आकृति बनाते हैं। पूजा करने के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं एवं जरूरतमंद लोगो को दान करते है।

पंचमी के दिन भूमि को नहीं खोदना चाहिए, अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन नागदेवता की विशेष पूजा कर लाभ पाया जा सकता है। अगर आपको सर्प से डर लगता है, संतान प्राप्ति के लिए, व्यक्ति से सर्प की हत्या हो गई हो या सांप सपने में दिखाई देते हो तो हैं तो इस दिन नाग देवता की पूजा अर्चना करें, इस दिन नाग नागिन के जोड़े को जंगल मे सपेरों से मुक्त कराने एवं गायों को चारा डाले एवं व्रत रखे 'ऊं नागेंद्रहाराय नम:' का जाप करें।

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कालिय-मर्दन लीला हुई थी और ब्रह्माजी द्वारा पंचमी के दिन वरदान दिए जाने व पंचमी के दिन ही आस्तीक मुनि द्वारा नागों की रक्षा किए जाने के कारण पंचमी-तिथि नागों को समर्पित है। 


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