जम्मू-कश्मीर में शनिवार को मनाया जाएगा नागपंचमी का पर्व, घर में ही शुद्ध मिट्टी के नाग बनाकर करें पूजन
कई परिवारों में यह सर्प की आकृति कागज पर बनाई जाती हैं कई परिवार घर के द्वार पर चन्दन से सर्प की आकृति बनाते हैं एवं पूजा करते हैं।
जागरण संवाददाता, जम्मू : कल शनिवार काे श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा। पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भय तथा कालसर्प योग शमन होता है। हमारे शास्त्रों में तिथि को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिस तिथि के जो देवता बताये गये हैं। उन देवताओं की पूजा उसी तिथि में करने से सभी देवता उपासक से प्रसन्न हो उसकी अभिलाषा को पूर्ण करते हैं।
महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि नागपंचमी पर्व को लेकर मतभेद हैं। राजस्थान एवं बंगाल में श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी को यह पर्व मनाते हैं और उत्तर भारत में श्रावण शुक्ल की पंचमी को और जम्मू (डुग्गर प्रदेश) में कुछ लोग भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की ऋषि पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व मनाते हैं। पंचमी तिथि के स्वामी नाग होने के कारण आप पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा अर्चना व्रत कर सकते हैं। ज्यादातर लोग श्रावण शुक्ल की पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाते हैं।
नागपंचमी का त्यौहार हमें यह बताता हैं कि हमारे देश में सभी जीव जंतु को सम्मान दिया जाता हैं। प्रकृति के संतुलन के लिए सभी उत्तरदायी हैं। किसी एक की भी कमी से यह संतुलन बिगड़ जाता हैं। हिन्दू धर्म में नागों को प्राचीन काल से पूजनीय माना गया है। सभी सांप भी हमारे समाज का अभिन्न अंग है। इसीलिए इंसानों को नागों की रक्षा करनी चाहिए और इन्हें अकारण सताना नहीं चाहिए।
कोरोना के चलते घर में करें नाग पूजा: कोरोना महामारी के चलते घर में नाग देवता की पूजा अर्चना करें। अगर घर में नाग देवता की प्रतिमा है तो ठीक है नहीं तो शुद्ध मिट्टी के नाग बनाकर पूजन करें। इस दिन नाग देवता की बाम्बी, वर्मी, में श्री फल, दूध, मीठा रोट, फूल, फूल माला चढ़ाई जाती हैं। सर्प के प्रकोप से बचने के लिए नाग पंचमी की पूजा की जाती हैं। नाग पंचमी का त्यौहार नागों का त्यौहार होता है। इस दिन पारंपरिक रूप से नाग देवता की पूजा करते हैं।
परिवार के कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद की मांग की जाती है। इस दिन नाग देवता के दर्शन किये जाते हैं। इसके बाद पूजा के लिए घर की एक दीवार पर गेरू, जोकि एक विशेष पत्थर है से लेप कर यह हिस्सा शुद्ध किया जाता हैं। यह दीवार कई लोगों के घर की प्रवेश द्वार होती हैं तो कई के रसोई घर की दीवार। इस छोटे से भाग पर कोयले एवं घी से बने काजल की तरह के लेप से एक चौकोर डिब्बा बनाया जाता हैं। इस डिब्बे के अन्दर छोटे छोटे सर्प बनाये जाते हैं। इस तरह की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती हैं। कई परिवारों में यह सर्प की आकृति कागज पर बनाई जाती हैं कई परिवार घर के द्वार पर चन्दन से सर्प की आकृति बनाते हैं एवं पूजा करते हैं। फिर ब्राम्हणो को भोजन करवाते हैं एवं जरूरतमंद लोगो को दान करें।
पंचमी के दिन भूमि को नहीं खोदना चाहिए: श्री कैलख वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ने कहाकि अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन नागदेवता की विशेष पूजा कर लाभ पाया जा सकता है। अगर आपको सर्प से डर लगता है। संतान प्राप्ति के लिए, व्यक्ति से सर्प की हत्या हो गई हो या सांप सपने में दिखाई देते हो तो इस दिन नाग देवता की पूजा अर्चना करें। इस दिन नाग नागिन के जोड़े को जंगल मे सपेरों से मुक्त कराने एवं गायों को चारा डाले एवं व्रत रखें।