धर्म से बड़ी इंसानियत: मुस्लिम मजदूरों ने गर्भवती महिला को चारपाई पर साढ़े तीन किलोमीटर दूर एंबुलेंस तक पहुंचाया
डॉक्टरों के अनुसार जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। अगर और अधिक देरी हो जाती तो महिला की हालत अधिक गंभीर हो जाती जिससे दोनों की जान को खतरा हो सकता था।
रामकोट, संवाद सहयोगी। इंसानियत धर्म से बड़ी है। धर्म चाहे जो भी हो, बस सोच ऊंच-नीच से परे हो। जाति और धर्म से परे इंसानियत का ऐसा ही उदाहरण रामकोट तहसील (कठुआ जिला) के काह गांव में मूर्त रूप लेता नजर आया। यहां मुस्लिम मजदूरों ने गर्भवती महिला को चारपाई के जरिये कांधे पर बैठाकर अस्पताल पहुंचाने में मदद की। वह साढ़े तीन किलोमीटर पैदल चले और गर्भवती को एंबुलेंस में बैठाया और फिर जच्चा-बच्चा की सलामती की दुआ की। महिला ने बेटी को जन्म दिया है।
दरअसल, रामकोट के गांव काह के हरदेव सिंह की पत्नी राधू देवी शनिवार सुबह प्रसव पीड़ा से तड़प उठी। उसे तत्काल चिकित्सा सहायता की जरूरत थी। रामकोट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इतनी सुविधाएं नहीं हैं कि राधू को पर्याप्त इलाज मिल सके। परिवार के सदस्यों के पास एक ही चारा था कि उसे उप जिला अस्पताल बिलावर ले जाएं। वह भी करीब 35 किलोमीटर दूर। इसके पहले उन्हें वाहन पकडऩे के लिए साढ़े तीन किलोमीटर दूर धार रोड तक पैदल चलना था, वह भी ऊबड़-खाबड़ पगडंडी पर। पर कैसे, यह सोच-सोचकर परिवारवालों की भी हालत खराब हो रही थी। परिवार के लोग परेशान थे कि आखिर गर्भवती राधू को कैसे पहले धार रोड और फिर बिलावर में अस्पताल तक पहुंचाएं।
बात सरपंच दिनेश खजूरिया तक पहुंची तो उन्होंने सड़क बनाने के ठेकेदार विनोद खजूरिया से मदद मांगी। उन्होंने यह बात धार रोड से कछेड-तिलश तक सड़क बनाने के काम में लगे मजदूरों से साझा की। मजदूर अख्तर, बशीर अहमद, नजीर, मोहमद यूसुफ और पीडब्ल्यूडी कर्मचारी राजू महिला को गांव से धार रोड तक पहुंचाने के लिए बिना देरी किए तैयार हो गए। सभी मजदूर राधू को चारपाई के जरिये धार रोड तक पहुंचाया। परिवार के लोग एंबुलेंस से महिला को बिलावर अस्पताल में ले गए, जहां डॉक्टर पहले से महिला का इंतजार कर रहे थे।
महिला सकुशल, बेटी को जन्म दिया: परिवार के लोगों और सरपंच ने सूझबूझ दिखाते हुए स्थानीय आशा वर्कर के जरिये उप जिला अस्पताल में डॉक्टरों से पहले से ही संपर्क बनाए रखा था। इसी के चलते अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस को भेज दिया था। इसके कारण महिला को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सका और उसकी जान बच गई। अस्पताल में पहुंचने के दस मिनट बाद ही महिला ने बेटी को जन्म दिया। डॉक्टरों के अनुसार जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। अगर और अधिक देरी हो जाती तो महिला की हालत अधिक गंभीर हो जाती, जिससे दोनों की जान को खतरा हो सकता था।
भरोसे पर रास्ते पर ग्रामीणों का जीवन: दूरदराज काह गांव के लोगों का जीवन सरकारी भरोसे के 'रास्ते पर चल रहा है। गांव के लिए सड़क बनाने के लिए अब तक कोरे आश्वासन ही मिलते आए हैं। ग्रामीणों की अर्जियों कूड़ेदानों का सफर कर चुकी हैं। अगर ऐसा न होता तो आज इस गांव के लिए पक्की सड़क बन गई होती और राधू को चारपाई से अस्पताल न ले जाया गया होता। सरपंच दिनेश बताते हैं कि उन्होंने खुद पूर्व सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे डॉ. निर्मल सिंह को लिखित रूप में सड़क बनाने के लिए गुहार लगाई थी। तब उन्हें आश्वासन दिया था कि सड़क बन जाएगी, लेकिन न तब बनी और न हाल में उम्मीद की किरण नजर आ रही है।