फैक्ट्री में काम कर खरीदा गिटार और बदल दी जिंदगी
पंद्रह वर्ष में अब तक वह बारह हजार से अधिक युवाओं को संगीत की विद्या देकर आत्मनिर्भर बना चुके हैं। वह गिटार और शास्त्रीय संगीत सिखाते हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। लीक से हटकर जिंदगी में बहुत कम लोग काम करते हैं। जब परिवार की परिस्थितियां विपरीत हों तो यह और मुश्किल हो जाता है। परंतु जम्मू के सरवाल के रहने वाले कुलदीप कुमार ने किसी भी मुश्किल को अपनी मंजिल की ओर जाने वाली राह में बाधा नहीं बनने दिया। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में संगीत की शिक्षा हासिल की और हजारों युवाओं के भविष्य को संगीत की धुनों से उज्ज्वल बनाया। इसी का परिणाम है कि आज उनके शिष्य देश भर में राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं।
पढ़ाई के साथ किया काम
कुलदीप का जन्म सरवाल निवासी विजय कुमार और रानी देवी के घर हुआ। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे कुलदीप की बचपन से ही संगीत में रुचि थी, लेकिन घरवालों की ऐसी स्थिति नहीं थी कि उन्हें संगीत सीखा सकें। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और स्कूल के दिनों में एक फैक्ट्री में काम कर रुपये कमाए और गिटार खरीदा, लेकिन संगीत सीखने के लिए उनके पास पर्याप्त रुपये नहीं थे। पढ़ाई करने के साथ-साथ उन्होंने शाम के समय कामकाज जारी रखा और वहां से रुपये कमाकर संगीत की विद्या हासिल की। बाद में उन्होंने प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ से संगीत में ही मास्टर डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने बृज लाल, धर्मेश नरगोत्रा व आशुतोष शर्मा से संगीत की विद्या हासिल की।
मन में थी कुछ करने की लगन
कुलदीप खुद तो संगीत सीख कर आत्मनिर्भर बन गए, लेकिन उनके दिल में यह बात हमेशा कचोटती थी कि उनके जैसे कई युवा जो संगीत सीखना चाहते हैं पर उनके पास रुपये नहीं हैं। एक दिन उन्होंने यह ठान लिया कि अब वह संगीत से ही युवाओं को आत्मनिर्भर बनाएंगे। इसके बाद उन्होंने पंद्रह वर्ष पूर्व आरोही कला संगीत विद्यालय की स्थापना की। यह ऐसा केंद्र था जहां फीस कोई मायने नहीं रखती थी। यहां प्रवेश लेने की एक ही योग्यता थी, संगीत के प्रति लगाव। धीरे-धीरे केंद्र में कई ऐसे युवा आने लगे जिनके लिए संगीत ही जीवन था और यही भविष्य। कुलदीप ने भी उन्हें निराश नहीं किया। पंद्रह वर्ष में अब तक वह बारह हजार से अधिक युवाओं को संगीत की विद्या देकर आत्मनिर्भर बना चुके हैं। वह गिटार और शास्त्रीय संगीत सिखाते हैं।
कई शिष्य कर रहे नाम रोशन
कुलदीप के कई छात्र देश भर में उनका नाम रोशन कर रहे हैं। उनकी एक छात्रा जगन ज्योत रंधावा ने हाल ही में एक फिल्म में भी गाना गाया है। यही नहीं, उनके शिष्य आरुष ने चंडीगढ़ में म्यूजिक बैंड बनाया है तो अंकुश दिल्ली में युवाओं को संगीत सीखा रहा है। गौरव दत्ता जम्मू में ही संगीत में अपना करियर बना रहा है। कुलदीप का कहना है कि संगीत के क्षेत्र में युवाओं का भविष्य उज्ज्वल है। उनके पास कई ऐसे युवा संगीत सीखने आते हैं, जिनके पास कुछ नहीं होता है, लेकिन उन्हें मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे युवाओं को कई बार वह वाद्य यंत्र तक खरीद कर देते हैं ताकि वह भी आत्मनिर्भर बन सके। फिलहाल वह संजय नगर और सरवाल में अपने संगीत विद्यालय चला रहे हैं। उनका कहना है कि जल्दी ही वह जम्मू के अन्य जगहों पर भी यह विद्यालय खोलेंगे ताकि अधिक से अधिक युवा संगीत में अपना भविष्य संवार सकें।
वेद मंदिर में सिखाते हैं संगीत
कुलदीप बाल आश्रम अंबफला में हर शनिवार और रविवार को बच्चों को संगीत सिखाते हैं। उनका कहना है कि इसका मकसद हर उस बच्चे तक संगीत पहुंचाना है जो कि आर्थिक रूप से सक्षम न होने के बावजूद संगीत नहीं सीख पाता हे। संगीत में भी भविष्य है। कुलदीप हर महीने युवाओं की प्रतिभा को निखारने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं।