Kashmir: बुरहान को पीछे छोड़ कश्मीर में नारा बन चुका था मूसा
पिता इंजीनियर थे इसलिए वह भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने चंडीगढ़ चला गया। मूसा के भाई डॉ. शाकिर के मुताबिक किसी को उम्मीद नहीं थी कि वह आतंकी बनेगा।
जम्मू, नवीन नवाज। जाकिर रशीद बट उर्फ जाकिर मूसा की मौत को सुरक्षाबलों ने एक बड़ी कामयाबी करार दिया है। उसके मारे जाने के साथ कश्मीर में अल-कायदा के संगठन अंसार उल गजवात-ए-¨हद के समाप्त होने की उम्मीद भी मजबूत हो गई है। मूसा ने पूरे कश्मीर में 30 साल से जारी आतंकी ¨हसा का रुख ही नहीं बदला, पाकिस्तान और उसके संरक्षण में पलने वाले कथित जिहादी संगठन व हुíरयत कांफ्रेंस से जैसे संगठन भी पूरी तरह बेनकाब हो गए। वह पहला आतंकी था, जिसने कश्मीर में जारी धर्माध जेहाद पर चढ़ाए गए आजादी के नकाब को उतारते हुए साफ शब्दों में कहा कि यहां कोई आजादी के नाम पर बंदूक नहीं उठाता, सब इस्लाम के नाम पर बंदूक उठाते हैं।
हम यहां कश्मीर में निजाम-ए-मुस्तफा और शरियत के लिए लड़ रहे हैं। दक्षिण कश्मीर में जिला पुलवामा के अंतर्गत नूरपोरा त्राल के एक संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखने वाले जाकिर मूसा बट की शुरुआती पढ़ाई नवोदय विद्यालय में हुई। पिता इंजीनियर थे, इसलिए वह भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने चंडीगढ़ चला गया। हालांकि, एक सत्र में फेल होने के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी। घर लौटने के बाद वह हिज्ब के ओवरग्राउंड नेटवर्क के संपर्क में आया और फिर वर्ष 2013 की सितंबर-अक्तूबर माह में वह अचानक घर से गायब हो गया। मूसा के भाई डॉ. शाकिर के मुताबिक, किसी को उम्मीद नहीं थी कि वह आतंकी बनेगा। वह पढ़ने में ठीक था, मस्त रहता था और फैशनेबल कपड़े पहनने में यकीन रखता था।
जम्मू कश्मीर में कार्यरत उसकी बहन शाहीना ने बताया कि जाकिर ने मैट्रिक में 65 प्रतिशत और 12वीं की परीक्षा में 64 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। वह कब आतंकवाद की तरफ बढ़ा, हमें पता ही नहीं चला। आतंकी बनने के बाद वह बुरहान वानी के साथ ही आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने लगा और चंद ही महीनों में वह हिज्ब कैडर के प्रमुख आतंकियों में गिना जाने लगा था, लेकिन वह हिज्ब की नीतियों से सहमत नहीं था। इसकी पुष्टि बुरहान गुट के ¨जदा पकड़े गए आतंकी तारिक पंडित ने भी की है। कहा जाता है कि सितंबर 2015 के दौरान बुरहान वानी ने अपने वीडियो में जिस तरह से हिज्ब की नीतियों के खिलाफ जाते हुए कश्मीर में खिलाफत की बात की थी, वह मूसा के प्रभाव में की थी।
बुरहान की मौत के बाद उसने हिज्ब नेतृत्व के साथ हुíरयत कांफ्रेंस समेत विभिन्न अलगाववादी संगठनों को खुली चुनौती देते हुए कहा कि यहां पाकिस्तान सिर्फ अपने निजी फायदे के लिए कश्मीरियों को आजादी का ख्वाब दिखाकर बंदूक थमा रहा है, लेकिन हमारा मकसद सिर्फ और सिर्फ यहां निजमा व इस्लाम का राज है। राष्ट्रवाद तो इस्लाम के खिलाफ है। उसने हुíरयत नेताओं को भी सुधरने की ताकीद करते हुए उन्हें लाल चौक में लटकाने की धमकी दी थी। मूसा की पाकिस्तान और विभिन्न आतंकी संगठनों को दी गई खुली चुनौती ने कश्मीर में आतंकवाद का रुख बदल दिया। मूसा रातों रात एक नारा बन गया। उसने अप्रैल 2017 में पूरी तरह से हिज्ब से किनारा कर लिया और जुलाई 2017 में उसने अंसार उल गजवात-ए-हिंद की नींव रखी। वह अलकायदा से जा जुड़ा और उसके साथ ही उसकी जो भी तस्वीरें और आडियो-वीडियो वायरल हुए, वह पूरी तरह से अल कायदा के कमांडरों द्वारा जारी किए जाने वाले आडियो वीडियो की तरह ही थे। उसने एक बार नहीं कई बार कश्मीर से बाहर देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले मुस्लिमों को इस्लाम के नाम पर भारत के खिलाफ बगावत के लिए उकसाया। उसने कई बार अपने भाषणों में हिंदू समुदाय को गाय पूजने वाली कौम के नाम से संबोधित किया। उसने पत्थरबाजों को मुजाहिद कहा। उसने आतंकियो को बार-बार सोशल मीडिया व टेलीफोन के अनावश्यक इस्तेमाल से परहेज करने की ताकीद करते हुए कहा कि वह अपनी सही स्थिति किसी को न बताएं, क्योंकि कई बार उनके कथित पाकिस्तानी आका ही उनकी मुखबिरी कर देते हैं।
उसने कश्मीर को गजवात-ए-हिंद का दरवाजा करार देते हुए अबु दुजाना, आरिफ ललहारी समेत कई पुराने और विदेशी आतंकियों को अपने साथ जोड़ा। नए लड़के भी उसके संगठन में शामिल होने के लिए आगे बड़े। हालांकि संसाधनों की कमी के चलते वह कभी अपने साथ बड़ी संख्या में स्थारनीय युवकों की फौज तैयार नहीं कर पाया। उसने दक्षिण कश्मीर में कई बैंक डकैतियों को भी अंजाम दिया। हालांकि कश्मीर में उसने कोई बड़ी वारदात बीते दो साल में अंजाम नहीं दी, लेकिन जिस तरह उसे बीते साल जालंधर में ग्रेनेड हमले कराए, दिल्ली में हमलों की साजिश को रचा, उससे साफ हो गया था कि वह लश्कर, जैश और हिज्ब से कहीं ज्यादा खतरनाक साबित होने जा रहा है।
मूसा ने जो बोया है, वह बेहद खतरनाक
कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले एसएसपी इम्तियाज हुसैन मीर के मुताबिक, जाकिर मूसा ने कश्मीर में आतंकी ¨हसा का रुख मोड़ दिया। वह मारा गया है, लेकिन उसने जो बीज बोया है, वह बहुत खतरनाक है। अगर हम बुरहान को आतंकियों का पोस्टर ब्वाय कहें तो जाकिर मूसा को एक नारा कहा जाएगा। वह दिन ब दिन खतरनाक साबित होते जा रहा था। गली-मोहल्लों में बिजली-पानी के लिए होने वाले प्रदर्शनों में भी लोग उसके नाम की नारेबाजी कर रहे थे। वह एक किवदंती बनता जा रहा था, जो आज समाप्त हो गई।
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