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कश्मीर में आतंकवाद बढ़ाने में मूसा को हथियार बनाने की फिराक में था जैश

राज्य ब्यूरो श्रीनगर पुलवामा हमले के बाद सुरक्षाबलों के लगातार बढ़ते दबाव से हताश जैश-ए-मोहम्मद घाटी के भीतर और देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जाकिर मूसा को अपना हथियार बनाने जा रहा था लेकिन उसकी मौत से जैश का मंसूबा नाकाम हो गया।

By Edited By: Published: Wed, 29 May 2019 08:16 AM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 11:17 AM (IST)
कश्मीर में आतंकवाद बढ़ाने में मूसा को हथियार बनाने की फिराक में था जैश
कश्मीर में आतंकवाद बढ़ाने में मूसा को हथियार बनाने की फिराक में था जैश

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : पुलवामा हमले के बाद सुरक्षाबलों के लगातार बढ़ते दबाव से हताश जैश-ए-मोहम्मद घाटी के भीतर और देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जाकिर मूसा को अपना हथियार बनाने जा रहा था, लेकिन उसकी मौत से जैश का मंसूबा नाकाम हो गया। जिस जगह वह मारा गया, वहां वह न सिर्फ जैश के आतंकियों से बैठक कर रहा था बल्कि मारे जाने के कुछ दिन पहले ही उसने यारवन, शोपियां में कथित तौर पर जैश आतंकियों से मुलाकात की थी।

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जाकिर मूसा को गत वीरवार की शाम को दक्षिण कश्मीर के डाडसर त्राल में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मार गिराया था। मुठभेड़ स्थल से मिले सुरागों व अन्य स्रोतों के अनुसार मूसा कुछ समय पहले तक अपने चंद साथियों संग जैश ए मोहम्मद के पाकिस्तानी कमांडरों के साथ बैठक कर रहा था। मुठभेड़ से दो दिन पहले भी उसकी यारवन शोपियां में जैश के आतंकियों के साथ बैठक हुई थी। मूसा और जैश कमांडरों के बीच बैठक को लेकर कई सु़रक्षा अधिकारी मानते हैं कि एजीएएच व जैश कश्मीर में मिलकर अपनी विध्वंसकारी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। उनके मुताबिक, पुलवामा हमले के बाद जैश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते दबाव से बचने के लिए कश्मीर में कोई ऐसा चेहरा चाहिए जो उसके लिए हथियार बन सके। मूसा से बेहतर कोई दूसरा नहीं था, क्योंकि विचारधारा के आधार पर जाकिर मूसा और जैश के बीच कई समानातएं हैं। इसके अलावा जैश का सरगना अजहर मसूद को ओसामा बिन लादेन का करीबी माना जाता रहा है।

जैश भी अलकायदा के साथ जड़ा रहा है। राज्य में आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले राज्य पुलिस में एसएसपी रैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जाकिर मूसा ने जब हिजबुल मुजाहिदीन से नाता तोड़ा था तो उस समय भी उसे कथित तौर पर जैश का समर्थन मिला था। जैश-ए-मोहम्मद हमेशा से अलकायदा का करीबी रहा है। जैश के आतंकियों ने एक बार पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की जान लेने की भी कोशिश की थी। जैश भी राष्ट्रवाद की विचारधारा में यकीन नहीं रखता, वह पूरी तरह से इस्लामिक राज और शरीयत में यकीन रखता है।

अधिकारी ने बताया कि जाकिर मूसा को कथित तौर पर हथियारों की कमी थी, जबकि जैश को एक चेहरा चाहिए था। दोनों एक दूसरे की जरूरतें पूरी करने में समर्थ थे। इसलिए इस बात को नहीं नकारा जा सकता कि जाकिर मूसा के खतरनाक मंसूबों को जैश की धार मिलने वाली थी। अगर दोनों का मेल होता तो यहां आतंकी ¨हसा में खतरनाक मोड़ आ सकता था। अधिकारी ने बताया कि हम मूसा के साथ मुलाकात करने वाले जैश के पाकिस्तानी आतंकियों का पता लगा रहे हैं।

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