Jammu Kashmir Election: टूट गया अलगाववाद की सियासत का चक्रव्यूह, जीता लोकतंत्र
जम्मू-कश्मीर में मतदाताओं के उत्साह ने मंगलवार को अलगाववाद की सियासत के चक्रव्यूह को तोड़ दिया और प्रदेश में लोकतंत्र की नई कहानी लिख दी। कठुआ से लेकर जम्मू तक अंतरराष्ट्रीय सीमा और उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा तक सभी सात जिलों में मतदाताओं में खासा उत्साह दिखा। वहीं सुबह से ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की कतार दिखने लगी।
राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में मतदाताओं के उत्साह ने मंगलवार को अलगाववाद की सियासत के चक्रव्यूह को तोड़ दिया और प्रदेश में लोकतंत्र की नई कहानी लिख दी। कठुआ से लेकर जम्मू तक अंतरराष्ट्रीय सीमा और उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा तक सभी सात जिलों में मतदाताओं में खासा उत्साह दिखा।
सुबह से ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की कतार दिखने लगी। कोई बैंड-बाजे के साथ पहुंचा और कोई सब काम छोड़कर लोकतंत्र के उत्सव में शामिल हुआ। मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के अनुसार, तीसरे व अंतिम चरण में 69.21 प्रतिशत मतदान हुआ। तीसरे चरण में किसी प्रकार की हिंसा का समाचार नहीं है।
मतगणना आठ अक्टूबर को होगी
पूरे निर्वाचन क्षेत्र में कहीं भी चुनाव बहिष्कार या आतंकी हिंसा की सूचना नहीं मिली। तीसरे चरण में 40 सीटों पर 415 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में बंद हो गया है। मतगणना आठ अक्टूबर को होगी। तीसरे चरण में कुल 90 सीटों में से 40 पर मतदान हुआ। इसमें जम्मू संभाग की 24 और कश्मीर की 16 सीटे हैं। मतदान में सांबा जिला सबसे आगे रहा और यहां करीब 73 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया। सबसे कम मतदान बारामुला में करीब 56 प्रतिशत रहा।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने किया प्रेरित
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स हैंडल पर लिखा कि मतदाताओं से मेरा अनुरोध है कि वह लोकतंत्र के उत्सव को सफल बनाने के लिए आगे आएं और अपना वोट अवश्य डालें। मुझे विश्वास है कि पहली बार वोट देने जा रहे युवा साथियों के अलावा नारीशक्ति की मतदान में बढ़-चढ़कर भागीदारी होगी।
गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा कि जम्मू-कश्मीर को एक ऐसी सरकार की जरूरत है, जो यहां की सुरक्षा, शांति व स्थिरता के लिए मजबूत निर्णय ले सके। जनता अपने वोट की शक्ति से एक ऐसी सरकार बनाए, जो जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद, अलगाववाद, परिवारवाद और भ्रष्टाचार से दूर रखे और हर वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए ²ढ़ संकल्पित हो।
वाल्मीकि समाज ने पहली बार किया मतदान
बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए विस्थापितों को पहली बार मतदान का अधिकार मिला। जम्मू जिला के आरएस पुरा में मतदान केंद्र पर बैंड बाजे के साथ पहुंचे पाकिस्तान से आकर बसे विस्थापित ¨हदुओं ने पहली बार वोट डाला। वेस्ट पाक रिफ्यूजी एक्शन कमेटी के प्रधान लब्बा राम गांधी व उनके साथियों ने पूजा-अर्चना कर साथियों के साथ जश्न मनाया। इसी तरह वाल्मीकि समाज के लोगों ने भी पहली बार मतदान किया।
वाल्मीकि समाज को जम्मू-कश्मीर की सफाई व्यवस्था बेहतर बनाने के उद्देश्य से करीब छह दशक पहले पंजाब से लाकर बसाया गया था। वर्ष 2019 तक उनके पास नागरिक के तौर पर अधिकार नहीं थे। अनुच्छेद 370 से आजादी के बाद वह पहली बार अपने अधिकारों का प्रयोग कर पा रहे हैं।
हमारे लिए तो आज जीवन का महाकुंभ
1947 में पाकिस्तान के सियालकोट से आरएस पुरा आया परिवार मानो धन्य हो गया। परिवार के मिल्खी राम ने वोट डालने के बाद कहा, 'थैंक्यू मोदी'। कल तक लोग हमें पाकिस्तानी शरणार्थी कहकर बुलाते थे। अब हम जम्मू-कश्मीर के असल निवासी बने हैं। वाल्मीकि समाज सभा के अध्यक्ष गारू भट्टी ने कहा कि 'हमारे लिए तो आज जीवन का महाकुंभ है।