Move to Jagran APP

Jammu : बंदरों पर भी पड़ी कोरोना की मार, भूख से पड़े रहते हैं निढाल, थमने लगी उछल-कूद

कोरोना काल से पहले सियाड़ बाबा स्थान पर काफी संख्या लोगों का आना-जाना लगा रहता था। यहीं पर खाने-पीने के सामान की दुकानें और रेहड़ियां भी थी जो बंदरों के लिए खाने का स्रोत थी।जब से कोरोना संकट पैदा हुआ तभी से इन प्राणियों पर भी संकट बन गया है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 06:13 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 06:13 PM (IST)
Jammu : बंदरों पर भी पड़ी कोरोना की मार, भूख से पड़े रहते हैं निढाल, थमने लगी उछल-कूद
सियाड़ बाबा देवस्थान पर लोगों लोगों की आवाजाही बंद होने से बंदर भूख से तड़प रहे हैं

रियासी, संवाद सहयोगी : कोरोना की वजह से ना केवल आम लोगों को, बल्कि कुछ जगहों पर बंदर जैसे वन्य प्राणियों को भी खाने के लाले पड़ गए हैं। इंसान तो फिर भी अपनी समस्या बता सकता है, लेकिन मूक प्राणी कैसे और किसे किसे बताए? ऐसी ही कुछ स्थिति रियासी जिला मुख्यालय से नौ किलोमीटर दूर स्थित सियाड़ बाबा धार्मिक स्थल पर विचरने वाले जंगली बंदरों की है। जो ना जाने इन दिनों कैसे अपने पेट की आग शांत कर रहे हैं, लेकिन उनकी थम-सी गई उछल-कूद तथा निढाल पड़े शरीर यह जरूर दर्शाते हैं कि दौर उनका भी खराब चल रहा है।

loksabha election banner

कोरोना काल से पहले सियाड़ बाबा स्थान पर काफी संख्या लोगों का आना-जाना लगा रहता था। खास कर इन दिनों और ज्यादा लोग सियाड़ बाबा पहुंचते थे तो बंदरों को लोगों से काफी कुछ खाने को मिल जाता था। यहीं पर खाने-पीने के सामान की दुकानें और रेहड़ियां भी थी जो बंदरों के लिए खाने का स्रोत थी। कुल मिलाकर यहां बंदरों को खाने के लिए अच्छा खासा मिल जाता था। लेकिन जब से कोरोना संकट पैदा हुआ है, तभी से इन प्राणियों पर भी संकट बन गया है। अब इस स्थान पर ना तो लोगों का आना-जाना है और ना ही दुकानें और रेहड़ियां हैं। जिस वजह से बंदरों को लोगों से मिलने वाला खाना पूरी तरह से बंद हो गया है।

आबादी वाली जगहों पर तो बंदरों का फिर भी गुजारा चल जाता है, लेकिन सियाड़ बाबा स्थान में सिर्फ जंगली पेड़-पौधे और घास हैं, जिन्हें अमूमन बंदर पसंद नहीं करते। हालांकि बंदर है तो वन्य प्राणी, लेकिन लोगों से खाने की चीजें मिल जाने से वह एक तरह से खाने के लिए लोगों पर ही निर्भर होकर रह गए। इस स्थान के बंदर अब ना जाने किस तरह से अपना पेट भर रहे हैं। वह बोल कर बता तो नहीं सकते, लेकिन उनके उदास भाव मानो यह दर्शा रहे हैं कि जैसे वह भी इंतजार में हैं कि आखिर कब वह पहले वाला समय लौटेगा, जब यह स्थान लोगों से गुजार होगा और भरपूर खाना मिल सकेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.