Jammu : बंदर भूल रहे जंगल का रास्ता, अब धार्मिक स्थलों या बंदरों सड़क किनारे ही बना रहता है जमावड़ा
पर्यावरणविद् लोगों ने भी बंदरों की बदलती जीवन शैली पर रोशनी डाली। कहा कि वन्यजीव संरक्षण विभाग द्वारा जगह जगह बोर्ड लगवाए गए कि बंदरों को फीडिंग करना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के खिलाफ है लेकिन लोगों को यह बात समझनी चाहिए।
जम्मू , जागरण संवाददाता : एक समय था कि बंदर जंगल में ही रहना पसंद करते। यहां के पेड़ पौधों से मिलने वाला कंद मूल ही उनका आहार होता। लेकिन उसके बाद धार्मिक आस्था के चलते इन बंदरों को तरह तरह का आहार देने का क्रम ऐसा तेज हुआ कि आज बंदर जंगल ही भूल गए हैं।
इन बंदरों का जमावड़ा अब धार्मिक स्थलों के आसपास या सड़क किनारे ही बना रहता है। कारण यह कि यहां पर लोगों द्वारा इनको चिप्स, ब्रेड व कई दूसरे स्वादिष्ट पदार्थ आहार के रूप दिए जा रहे हैं। इससे इन जीवों की जीवन शैली ही बदल आई है। इनको जायकेदार पदार्थाें के खाने की लत लग चुकी है। ज्यादातर बंदर जंगली फल फूल खाने की बजाए जायकेदार चीजें खाने के लिए ललायत रहते हैं। यही कारण है कि यह जीव सड़क किनारे एकत्र होकर वाहन चालकों के वहां से गुजरने का इंतजार करते हैं। धार्मिक स्थलों पर कई बार तो सामान हाथ से छीन कर भाग जाते हैं। खाने के चक्कर में बंदरों की उत्पाती घटनाएं भी बढ़ रही है।
इन सारे माले पर वन्यजीव संरक्षण विभाग की विभिन्न बैठकों में भी जिक्र हुआ जिसमें पर्यावरणविद् लोगों ने भी बंदरों की बदलती जीवन शैली पर रोशनी डाली। कहा कि वन्यजीव संरक्षण विभाग द्वारा जगह जगह बोर्ड लगवाए गए कि बंदरों को फीडिंग करना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के खिलाफ है, लेकिन लोगों को यह बात समझनी चाहिए। कुछ पर्यावरणविद् लोगों ने तो लोगों को बड़े पैमाने पर जागरूक करने के लिए भी जोर दिया। कहा कि इस दिशा में वन्यजीव संरक्षण विभाग ठोस कदम उठाए। पिछले समय में शहर से बंदरों को दूर करने के लिए पिछले समय में मंकी केचर तक मंगवाए गए और इन बंदरों को पकड़ कर दूर जंगलों में ले जाकर छोड़ा गया। लेकिन जायकेदार खाने का चस्का फिर से इन बंदरों को शहर कस्बों की ओर खींच लाया।