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विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल पर हर पल है मोदी की नजर, सीसीटीवी कैमरे से नजर रख रहा पीएमओ

कश्मीर रेल लिंक परियोजना का यह सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है। निर्माण में जुटे कर्मियों को 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली तेज हवा का सामना करना पड़ रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 11:24 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 11:24 AM (IST)
विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल पर हर पल है मोदी की नजर, सीसीटीवी कैमरे से नजर रख रहा पीएमओ
विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल पर हर पल है मोदी की नजर, सीसीटीवी कैमरे से नजर रख रहा पीएमओ

जम्मू, दिनेश महाजन। कश्मीर घाटी को रेलमार्ग से कन्याकुमारी से जोडऩे के लिए बन रहे विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल के निर्माण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी नजर है। राष्ट्रीय परियोजना घोषित जम्मू-बारामूला रेललिंक परियोजना पर बन रहे रेलवे पुल के निर्माण की गति क्या है? निर्माण के दौरान क्या दिक्कतें आ रही है? इसकी प्रधानमंत्री स्वयं मॉनिटरिंग कर रहे हैं। किसी भी प्रकार की दिक्कत आने पर उसे तत्काल दूर किया जा रहा है।

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कश्मीर घाटी को रेल मार्ग से देश से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जम्मू संभाग के रियासी जिला के कौडी और बक्कल गांव में निर्माणाधीन रेलवे पुल पर सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए हैं, जिससे प्रधानमंत्री कार्यालय से लगातार इसकी निगरानी हो रही है। तय समयसीमा में कितना निर्माण कार्य पूरा हुआ? पहले जारी की गई हिदायतों पर काम हुआ या नहीं? इसकी पर कैमरों की मदद से नजर भी रखी जा रही है। राज्य रेलमंत्री मनोज सिन्हा ने हाल ही में चिनाब दरिया पर बन रहे इस पुल का स्वयं आकर निरीक्षण किया था। पुल के नजदीक वीआइपी मूवमेंट को देखते हुए हैडपेड का भी निर्माण किया गया है।

विश्व से सबसे ऊंचे रेलवे पुल की खासियत

  • 24,000 टन इस्पात का पुल के निर्माण में होगा इस्तेमाल
  • 1200 करोड़ रुपये रेलवे के अर्धचंद्राकार पुल के निर्माण की लागत
  • 359 मीटर ऊंचा होगा पुल समुद्र तल से
  • 35 मीटर एफिल टावर से ज्यादा होगी ऊंचाई
  • 1.32 किलोमीटर लंबे पुल पर दिखेगा इंजीनियरिंग का कमाल

पुल का निर्माण कश्मीर रेल लिंक परियोजना का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है। निर्माण में जुटे कर्मियों को 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली तेज हवा का सामना करना पड़ रहा है। पुल का निर्माण वर्ष 2021 में पूरा होगा, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। पुल के निर्माण के बाद निरीक्षण के मकसद के लिए पुल में एक रोपवे होगा। पुल की सुरक्षा के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। -संदीप गुप्ता, महाप्रबंधक, कोकण रेलवे

बक्कल और कौड़ी गांव का हुआ कायाकल्प

वर्ष 2014 के बाद चिनाब दरिया पर बन रहा रेलवे पुल का एक छोर गांव बक्कल जबकि दूसरा गांव कौड़ी में पड़ता है। पुल के निर्माण कार्य में बीते पांच वर्षों में तेजी आने से दोनों गांवों का कायाकल्प हो गई। रेलवे से न सिर्फ यहां के लोगों को रोजगार मिला है, बल्कि सड़क ढांचा भी मजबूत हुआ है। रियासी जिले के बक्कल और कौड़ी गांव तक पहुंचने के लिए पहले सड़क तक नहीं थी। लोगों घोड़ों की मदद से आवागमन करते थे, लेकिन अब वाहन घरों में पहुंच रहे हैं।  


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