कश्मीर में आजादी, आटोनामी, सेल्फ रुल के नारे लगाने वाले चाहते हैं रिहाई, जानिए किस-किस ने दिए हैं बांड!
अधिकारिक स्तर पर अभी तक इन पांच लोगों के नामों को उजागर नहीं किया गया है। पांच अगस्त को एहतियातन हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की प्रक्रिया पर काम शुरु हो चुका है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। आतंकवाद और अलगाववाद अनुच्छेद 370 की देन रहा है, इसके समाप्त होने के साथ ही अलगाववाद और आटोनामी का सुर अलापने वाले भी बदलने लगे हैं। आजादी, आटोनामी अैर सेल्फ रुल का नारा देने वाले कई वरिष्ठ नेता अब ये लिखकर देने को तैयार हैं कि अगर उन्हें रिहा किया जाता है तो वे ये नारे नहीं देंगे। वह ऐसा कोई काम भी नहीं करेंगे जिससे कानून व्यवस्था का संकट पैदा हो या लोग अलगाववादी भावनाएं पैदा हों।
सूत्रों ने बताया कि उदारवादी हुर्रियत चेयरमैन मीरवाईज मौलवी उमर फारुक, नेशनल कांफ्रेंस के दो पूर्व विधायक, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स कांफ्रेंस से जुड़े दो नेताओं ने राज्य प्रशासन को बांड लिखकर दिया है कि वह अपनी रिहाई के बाद कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे माहौल बिगड़े।
गौरतलब है कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव के मददेनजर प्रशासन ने कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के विभिन्न राजनीतिक दलों के करीब 1200 नेताओं व कार्यकत्र्ताओं को एहतियातन हिरासत में लिया था या फिर उन्हें उनके घरों में नजरबंद किया गया था। इन सभी को सीआरीपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में लिया गया है।
संबधित अधिकारियों ने बताया कि रिहाई के लिए बांड भरने वालों में मीरवाईज मौलवी उमर फारुक पहले प्रमुख अलगाववादी नेता बताए जा रहे हैं।
वह कश्मीर समस्या के समाधान के लिए हमेशा जनमत संग्रह या फिर कश्मीर कीआजादी पर जोर देते रहे हैं। उनके अलावा आटोनामी का नारा देने वाली नेशनल कांफ्रेंस के दो वरिष्ठ नेता जोकि पूर्व विधायक हैं के अलावा कश्मीर में सेल्फ रुल की वकालत करने वाली पीडीपी के एक पूर्व विधायक हैं। अलगाववाद की सियासत को गुडबाय करने के बाद मुख्यधारा की सियासत में लौटने वाले सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कांफ्रेंस का एक युवा नेता भी अपनी रिहाई के लिए बांड भरकर दे चुका है।
संबधित अधिकारियों के अनुसार, अगर सीआरपीसी की धारा 107 के तहत बांड के आधार पर रिहाई प्राप्त करने के बाद कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करताहै, राजनीतिक जलसों में भड़काऊबयानबाजी करता है तो उसे तुरंत गिरफ्तार कर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
अधिकारिक स्तर पर अभी तक इन पांच लोगों के नामों को उजागर नहीं किया गया है, लेकिन संबधित सूत्रों ने बताया कि पांच अगस्त को एहतियातन हिरासत में लिए गए लोगों की चरणबद्ध तरीके से रिहाई की प्रक्रिया पर काम शुरु हो चुका है। इस मामले को केंद्रीय गृहमंत्रालय ने सीधा अपने हाथ में रखा हुआ है। उन्होंने बताया कि जिस तरह से इन पांच लोगों ने अपनी रिहाई के लिए बांड भरा है, उससे साफ है कि जम्मू कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव के साथ आजादी, आटोनामी और सेल्फ रुल के नारे भी बंद होने जा रहे है।
सेंटूर सबाईडरी जेल में अब तीन दर्जन ही राजनीतिक नेता व कार्यकत्र्ता एहतियातन हिरासत में हैं। इनमें शाह फैसल, सज्जाद गनी लोन,वहीद उर रहमान पारा, निजामदीन बट, खुर्शीद आलम,यासिर रेशी,मोहम्मद खलील बंड ,अली मोहम्मद सागर,मुबारक गुल सरीखे नेता हैं। अलबत्ता, इनमें से किसी नेता ने अभी तक अपनी रिहाई के लिए बांड नहीं भरा है।