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जम्मू कश्मीर में 10 साल में दोगुना होगा दूध उत्पादन, कृत्रिम गर्भाधान से देशी गाय-भैंस की बदली जाएगी नस्ल

पशु व भेड़पालन के प्रमुख सचिव डॉ. असगर समून का कहना है कि जम्मू कश्मीर को डेयरी सेक्टर में आगे लाकर यहां से दूध का निर्यात करना लक्ष्य है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 06:26 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 06:26 PM (IST)
जम्मू कश्मीर में 10 साल में दोगुना होगा दूध उत्पादन, कृत्रिम गर्भाधान से देशी गाय-भैंस की बदली जाएगी नस्ल
जम्मू कश्मीर में 10 साल में दोगुना होगा दूध उत्पादन, कृत्रिम गर्भाधान से देशी गाय-भैंस की बदली जाएगी नस्ल

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू कश्मीर में दूध का उत्पादन दोगुना करने के लिए राज्य प्रशासन ने मिल्क पॉलिसी की शुरुआत की है। इसके तहत देसी गाय, भैंस की नस्ल सुधार कर 10 वर्ष में लक्ष्य हासिल किया जाएगा। डेयरी फार्म व सहकारिता समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही ही किसानों को डेयरी के छोटे-छोटे प्रोजेक्ट लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार युवाओं को आसान ऋण की सुविधा उपलब्ध है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो वर्ष 2030 तक प्रदेश में दूध का उत्पादन 62 लाख टन हो जाएगा, जो मौजूदा उत्पादन 27. 56 लाख टन का दोगुना होगा।

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किसानों व डेयरी इकाइयों की मदद से जम्मू कश्मीर हर दिन 70 लाख लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है। इसमें जम्मू की भागेदारी 30 लाख लीटर की है। कश्मीर 40 लाख लीटर दूध की पैदावार कर रहा है। राज्य प्रशासन पिछले काफी समय से विभिन्न कार्यक्रम के माध्यम से पशु पालकों को जागरूक कर नई योजनाओं से जोड़ रहा है। इंफोरमेशन नेटवर्क फार एनीमल प्राडक्टविटी एंड हेल्थ योजना के तहत माल मवेशी की सेहत का ध्यान रखा जाएगा। मवेशियों के लिए अच्छी दवा खरीदी जाएंगी। कुलभूषण कुमार का कहना है कि सरकार की योजनाएं जमीनी स्तर पर लागू होनी चाहिए।

दूध उत्पादन का लक्ष्य ऐसे होगा पूराः वेटनरी डॉ. वीर अभी का कहना है कि राज्य प्रशासन की यह पॉलिसी सही है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो जम्मू कश्मीर में दूध का उत्पादन बढ़ जाएगा। जम्मू कश्मीर में ज्यादातर माल-मवेशी देसी नस्ल का ही है। इसलिए माल-मवेशी की नस्ल में सुधार करने की योजना बनाई गई है। अगर एक देसी किस्म की गाय डेढ़ लीटर दूध देती है, लेकिन कृत्रिम गर्भाधान के जरिए उससे मिलने वाली बछड़ी अगले ढाई साल बाद 8 से 9 लीटर दूध दे सकती है। इसलिए प्रदेश में बड़ी संख्या में कृत्रिम गर्भाधान हो रहा है। जम्मू संभाग में हर वर्ष 3.7 लाख कृत्रिम गर्भाधान हो रहे रहे हैं। इससे 1.8 लाख नई नस्ल की बछड़ी, बछड़े प्राप्त हो रहे हैं। अगर आधी संख्या बछड़ी की होगी तो दूध उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होगी।

ये योजनाएं की गई हैं लागू

  • इंडीग्रेटिड डेयरी डेवलपमेंट योजना शुरू: पांच करोड़ रुपये की इस योजना के तहत सेल्फ हेल्प बनाने वाले दल को पांच मवेशी पालने के लिए सरकार पौने दो लाख रुपये की सहायता या 50 फीसद सब्सिडी देगी। रेफ्रीजेटर , मिल्क वेन, पनीर बनाने की मशीन, खोआ बनाने की मशीन की खरीदारी पर 50 फीसद सब्सिडी मिलेगी।
  • डेयरी इंटरप्रेनुअरशिप डेवलपमेंट स्कीम के तहत उद्यमियों को डेयरी लगाने में सरकार सहायता देगी। दो से 10 पशु खरीदने पर पशु पालकों को 25 से 35 फीसद तक सब्सिड़ी दी जाएगी। दो गायों वाली 15,000 डेयरी इकाइयां स्थापित की जाएगीं।
  • किसान क्रेडिट कार्ड को सरकार ने डेयरी फील्ड में शामिल कर लिया है। किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसान माल मवेशियों के लिए पशुचारे का जुगाड़ करने के लिए 29,000 तक की सहायता ले पाएंगे।

दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए हम गंभीरः पशु व भेड़पालन के प्रमुख सचिव डॉ. असगर समून का कहना है कि जम्मू कश्मीर को डेयरी सेक्टर में आगे लाकर यहां से दूध का निर्यात करना लक्ष्य है। इसको लेकर वे गंभीरता से काम कर रहे हैं। दूध के क्षेत्र में जम्मू कश्मीर अपना लक्ष्य हासिल करेगा। ग्रामीण युवाओं, सहकारी समितियों को डेयरी की तरफ लाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। 


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