ऑपरेशन ऑलआउट से घबराए आतंकियों ने पाक में बैठे आकाआें से मांगी मदद
कश्मीर घाटी में सेना व सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन ऑलआउट से आतंकी संगठनों की कमर टूटने लगी है। ऐसे में पाक की नापाक सरकार से और अधिक सैन्य मदद के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं।
गगन कोहली, राजौरी। कश्मीर घाटी में सेना व सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन ऑलआउट से आतंकी संगठनों की कमर टूटने लगी है। ऐसे में वह फिर से पाक की नापाक सरकार से और अधिक सैन्य मदद के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। इस वर्ष अभी तक सुरक्षा बल घाटी में 210 से अधिक आतंकवादियों को मौत के घाट उतार चुके हैं। इनमें से कई आतंकी संगठनों के कमांडर भी शामिल हैं। सर्दी से पूर्व घुसपैठ की कई कोशिशों को भी सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया है। साथ ही उनके कई ठिकाने भी तबाह हो चुके हैं।
घाटी में ऑपरेशन आलआउट की लगातार बढ़ती सफलता के कारण उनके आका चिंता में हैं। उनका मनोबल भी टूटने लगा है। ऐसे में बार-बार पाक सरकार व पाक सेना से कश्मीर में दखल देने का राग अलाप रहे हैं। सूत्रों के अनुसार चंद रोज पहले गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद के सेंट्रल प्रेस क्लब में विभिन्न आतंकी संगठनों के स्वयंभू आकाओं ने एक संवाददाता सम्मेलन किया। इसमें यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन भी शामिल था। उन्होंने कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा की जा रही की कार्रवाई का हवाला देते हुए इस्लामाबाद से पूर्ण सैन्य मदद की गुहार लगाई कि पाक सेना कश्मीर में हमला करे या अपने जवानों को भेजे।
यूनाइटेड जिहाद काउंसिल में दस से अधिक आतंकी संगठन शामिल है और इनका नेतृत्व सैयद सुलाहुद्दीन कर रहा है। सलाहुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान सरकार को कश्मीरियों के लिए पूर्ण सैन्य मदद का एलान करना चाहिए। उसे चिंता है कि हथियार उठाए कई का धैर्य जवाब दे रहा है। भारत से वार्ता की भीख मांगने के लिए पाकिस्तानी नेतृत्व की आलोचना भी की। सलाहुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान ने अतीत में भारत से 150 से ज्यादा बार बातचीत की, लेकिन कश्मीर मुद्दे को नुकसान के अलावा उसे कुछ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि कश्मीरी युवा ऐसी स्थिति में अधिक देर नहीं लड़ पाएंगे। क्या पाकिस्तान के लिए पूर्ण सैन्य मदद देने का सही समय नहीं है।
इस संवाददाता सम्मेलन में सलाहुद्दीन के साथ तहरीकुल मुजाहिदीन, जमीयतुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद, अल-बक्र मुजाहिदीन, हिज्ब-ए-इस्लामी, कश्मीर लिबरेशन मूवमेंट, तहरीक-ए-जिहाद, हरकत-ए-जिहाद-ए-इस्लामी, हरकतुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के उच्च कमांडर मौजूद थे।