अब मौसम नहीं डाल पाएगा बाबा अमरनाथ यात्रा में खलल, यात्रा ट्रैक पर लगेंगे एक्स बैंड डाप्लर रडार
श्रीनगर स्थित मौसम विभाग केंद्र के निदेशक सोनम लोटस ने बताया हमारा प्रयास है कि इस बार मौसम के कारण श्रद्धालुओं को होने वाली दुश्वारियों को यथासंभव न्यूनतम स्तर पर लाया जाए।
श्रीनगर, नवीन नवाज। श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा 2020 के दौरान मौसम बेशक बिगड़ जाए, लेकिन वह भगवान अमरेश्वर की पवित्र गुफा की यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बाधा नहीं बन पाएगा। कारण- मौसम विभाग ने इस बार यात्रा के दौरान मौसम का अनुमान लगाने के अलावा उसके असर पर आधारित स्टीक भविष्यवाणी के लिए अत्याधुनिक एक्स बैंड डाप्लर रडार लगाने का फैसला किया है। दोनो यात्रा मार्गाें पर भी अत्याधुनिक मोबाइल मौसम पूर्वानुमान उपकरण स्थापित किए जाने के अलावा बालटाल और पहलगाम में मौसम के विभाग के दो मौसम विशेषज्ञ भी तैनात रहेंगे।
समुद्रतल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरनाथ की गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा इस साल 23 जून को शुरु हो रही है। यह तीर्थ यात्रा इस बार 42 दिन की होगी। श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थ यात्रा के दौरान अक्सर जम्मू कश्मीर में बारिशें होती हैं। हाइवे पर भूस्खलन के कारण कई बार श्रद्धालुओं की जान पर बन आती है और हाइवे को बंद करना पड़ता है। इसी तरह पहलगाम से पवित्र गुफा और बालटाल से पवित्र गुफा के रास्ते पर भी बादल फटने, अचानक बारिश व हिमपात और हिमस्खलन की घटनाएं होती हैं। इससे कई बार कई श्रद्धालुओं की जान चली जाती है। मौसम के खराब होने पर तीर्थयात्रा को कई बार तीन से चार दिनों तक रोकना पड़ा है, जिससे कई तरह की प्रशासनिक दिक्कतें भी पैदा होती हैं।
मंडलायुक्त कश्मीर बसीर अहमद खान की अध्यक्षता में गत दिनों श्रीनगर में श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा को लेकर हुई बैठक में भी मौसम अनुमान का मुद्दा उठा था। इस बैठक में मौसम विभाग को बालटाल से पवित्र गुफा और पहलगाम से पवित्र गुफा की तरफ जाने वाले दोनों रास्तों पर पर चार से पांच ऑटोमैटिक वेदर फोरकास्टिग स्टेशन स्थापित करने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही मौसम विभाग के दो अधिकाारी बालटाल और पहलगाम में यात्रावधि के दौरान लगातार मौजूद रहकर मौसम की निगरानी करेंगें। नियमित तौर पर मौसम की गतिविधियों का अनुमान लगाते हुए यात्रा प्रबधकों व श्रद्धालुओं काे सूचित करेंगे।
श्रीनगर स्थित मौसम विभाग केंद्र के निदेशक सोनम लोटस ने बताया हमारा प्रयास है कि इस बार मौसम के कारण श्रद्धालुओं को होने वाली दुश्वारियों को यथासंभव न्यूनतम स्तर पर लाया जाए। मौसम पर हमारा कोई बस नहीं है, लेकिन मौसम के मूड़ का पता लगाकर हम कई दिक्कतों से बच सकते हैं। हमने न सिर्फ मौसम का अनुमान लगाने बल्कि खराब मौसम के संबधित क्षेत्र में होने वाले प्रभाव जिसमें हम बताएंगे कि बाढ़ आएगी या बादल फटेगा। हिमस्खलन की आशंका है या नहीं, ठंड कितनी ज्यादा होगी या मौसम जल्द साफ होगा तो तापमान में किस तरह की बढ़ोतरी होगी, यह सभी जानकारियां दी जाएंगी। बारिश होगी तो उसकी तीव्रता कितनी होगी, यह भी बताने का प्रयास किया जाएगा।
सोनम लोटस ने बताया कि हम इस साल एक्सबैंड डाप्लर राडार प्रणाली का इस्तेमाल करेंगे। इसे पीरपंचाल के दाएं तरफ बनिहाल में स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा एक अन्य डाप्लर रडार हम सोनमर्ग के ऊपरी हिस्से में स्थापित कर रहे हैं। बनिहाल में स्थापित किए जाने वाले रडार 270 किलोमीटर लंबे श्रीनगर-जम्मू हाइवे और उसके साथ सटे इलाकाें में मौसम का अनुमान लगाने में सहायक होगा। पीरपंचाल पर्वत श्रृंखला और जवाहर सुरंग के दोनों तरफ होने वाली मौसमी गतिविधियों का यह स्टीक अनुमान व उसके प्रभाव का पता लगाने में मदद करेगा।
यात्रा प्रबंधों की तैयारियों में शामिल केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यात्रा मार्ग पर मौसम का पूर्वानुमान लगाने में समर्थ अत्याधुनिक मोबाइल मौसम पूर्वानुमान उपकरण भी इस्तेमाल किए जाएंगे। इन उपकरणों की सहायता से संबधित क्षेत्र में मौसम की गतिविधियों का अनुमान पर लगातार अलर्ट जारी किए जाएंगे।