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Jammu Kashmir: 'बुझारतां' गोष्ठी के आयोजन से ताजा हुई नानी-दादी से जुड़ी यादें

नमीं डोगरी संस्था के संयोजक कैप्टन ललित शर्मा आईएफएस ने कहा कि पिछले दिनों डोगरी पहेलियों में डोगरी भाषा के क्विज सत्र का भी आयोजन किया गया था।जिससे बच्चों में विशेष रूप से सकारात्मक सोच पैदा हुई। उन्होंने एक विशेष डुग्गर चैनल की मांग की

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 10:54 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 10:54 AM (IST)
Jammu Kashmir: 'बुझारतां' गोष्ठी के आयोजन से ताजा हुई नानी-दादी से जुड़ी यादें
उन्होंने एक विशेष डुग्गर चैनल की मांग की ताकि डोगरी साहित्य, संस्कृति से जुड़ी चीजों का प्रोत्साहन हो सके।

जम्मू, जागरण संवाददाता : एक समय था जब बच्चे इस लिए रात होने का इंतजार कर रहे होते थे कि उन्हें रात को अपनी दादी, नानी से कोई महानी सुननी होती थी। परिवार के बच्चों और दूसरे सदस्यों ने पहेलियां (बुझारतां) सुननी होती थी। उन पुरानी यादों को नमीं डोगरी संस्था ने बुझारतां गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन कर ताजा करवाया।

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जिन लोगों ने इस गोष्ठी में भाग लिया, उनमें डा. विजय पुरी, पदम सिंह चौधरी, सुदर्शन कुमारी दर्शी, सुनैना कैला, शंभू राम प्यासा, राम पाल डोगरा, जतिंदर जॉली और कुसुम शर्मा अंतरा शामिल थे। गोष्ठी में नई पुरानी सभी पहेलियां पूछी गई। यह काफी रोचक दौर रहा। हर कोई जल्द से जल्द जवाब देने के लिए उतारू दिखा हालांकि नए जमाने के साहित्यकारों के लिए पुराने समय की पहेलियां बूझ पाना कुछ मुश्किल हो रहा था।

सेवानिवृत्त आयुक्त डोगरी साहित्यकार बलवान सिंह जम्वाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।कार्यक्रम का संयोजन नमी डोगरी संस्था के अध्यक्ष हरीश कैला ने किया।कार्यक्रम का संचालन गीतकार एवं संगीतकार यश पाल यश महासचिव नमीं डोगरी संस्था ने किया।

नमीं डोगरी संस्था के संयोजक कैप्टन ललित शर्मा आईएफएस ने कहा कि पिछले दिनों डोगरी पहेलियों में डोगरी भाषा के क्विज सत्र का भी आयोजन किया गया था।जिससे बच्चों में विशेष रूप से सकारात्मक सोच पैदा हुई। उन्होंने एक विशेष डुग्गर चैनल की मांग की ताकि डोगरी साहित्य, संस्कृति से जुड़ी चीजों का प्रोत्साहन हो सके। उन्हें अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके।

बलवान सिंह जम्वाल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि यह सुनिश्चित करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि कार्यालय के काम में डोगरी भाषा का प्रयोग हो और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार इसे स्कूल स्तर पर पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में पढ़ाया जाए। उन्होंने पहेलियों की हमारी समृद्ध साहित्यिक विरासत को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए इस अनूठे कार्यक्रम के आयोजन के लिए एनडीएस को बधाई दी।जिन लोगों ने सराहना की उनमें प्रो. अनुपमा शर्मा, रोहित चौधरी, निधि कैला चौधरी, संजीव शर्मा, कुसुम शर्मा ‘अंतरा’ अमरजीत कौर ’नीर’ कल्पना गुप्ता रतन, आरके उप्पल, कुलभूषण सिंह जम्वाल, डा. चंचल शर्मा शामिल थे। ग्रुप कैप्टन दुपिंदर सिंह, विंग कमांडर डा. दीपक सी डोगरा, डा. आदर्श मल्होत्रा, सतीश मल्होत्रा, मनीषा शर्मा, बच्चन भगत और केडी कौल महबूब आदि शामिल थे।डा. सुशील भोला ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया। 


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