कारगिल विजय दिवस पर एतिहासिक जीत की यादें ताजा हुई
विजय दिवस पर द्रास में फूलों से सजाए गए सेना के जवानों ने बिगुल पर लास्ट पोस्ट धुन बजाकर उन शहीदों को याद किया जो तिरंगे में लिपट कर घर आए थे।
जम्मू , [राज्य ब्यूरो] । असाधारण वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना से कारगिल की चोटियों को आजाद करवाने वाले भारतीय सेना की बहादुरी के किस्से बुधवार को अठारवें कारगिल विजय दिवस पर फिर ताजा हुए।
कारगिल के द्रास स्थित वार मेमोरियल में सुबह हुए मुख्य कार्यक्रम में सेना की उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अनबू ने शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित किए।
कारगिल में चोटियां फतेह करते हुए प्राणों की आहूति देने वाले सेना के 527 वीरों की बहादुरी की सराहना करने के साथ आर्मी कमांडर ने कहा कि सेना को युद्ध में कंधे से कंधा मिलाकर चले लद्दाख के कारगिल जिले के लोगों पर भी गर्व है। कारगिल के चोटियों पर शहीद हुए जम्मू कश्मीर के 71 सैनिकों में से सबसे अधिक 27 सैनिक लद्दाख क्षेत्र से थे। इनमें लद्दाख स्काउट्स के लेह से 24 व कारगिल के 3 सैनिक शामिल हैं।
विजय दिवस पर द्रास में फूलों से सजाए गए सेना के जवानों ने बिगुल पर लास्ट पोस्ट धुन बजाकर उन शहीदों को याद किया जो तिरंगे में लिपट कर घर आए थे। लाईट एंड साउंड के जरिए भी कारगिल युद्ध की यादें ताजा की गई। कार्यक्रम के आरंभ में सेना के चीता हेलीकाप्टरों ने वार मेमोरियल पर फूल बरसाए।
बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए आर्मी कमांडर ने कहा कि कारगिल के युद्ध में क्षेत्र के निवासियों का भी अहम योगदान है। वे सेना को पूरा सहयोग देते हैं। अलबत्ता चीन से तनातनी के प्रश्न को टालते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर मंत्रालय स्तर पर कार्रवाई हो रही है।
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