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Jammu Kashmir: महबूबा का वही पुराना राग, बंदूक के बूते स्‍थायी शांति संभव नहीं, किसान आंदोलन के बहाने गुपकार एजेंडे को बढ़ाया

श्रीनगर में पार्टी के जिला विकास परिषद के सदस्यों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए महबूबा ने कहा कि भारतीय संविधान के अंदर ही गुपकार एलांयस जम्मू कश्मीर की पांच अगस्त 2019 से पहले की स्थिति को बहाल करवाने के लिए जद्दाेजहद कर रहा है।

By lokesh.mishraEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 09:54 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 07:23 AM (IST)
Jammu Kashmir: महबूबा का वही पुराना राग, बंदूक के बूते स्‍थायी शांति संभव नहीं, किसान आंदोलन के बहाने गुपकार एजेंडे को बढ़ाया
महबूबा ने कहा केंद्र सरकार संविधान का अपमान कर रही है

जम्मू, राज्य ब्यूरो : पीडीपी की प्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कृषि कानूनों के बहाने फिर केंद्र सरकार पर भड़ास निकाली। इसकी आड़ में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही महबूबा ने एक फिर सेल्फ रूल के मसले को भी हवा दे दी। उसने फिर कहा कि बंदूक के बूते कश्मीर में शांति संभव नहीं है।

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यहां बता दें कि जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद चुनाव में महबूबा की पार्टी पीडीपी चार फीसद से कम वोट पर अटक गई। गुपकार दलों के समर्थन के बावजूद मात्र 26 सीटों पर उसके प्रत्याशी जीत पाए। ऐसे में समर्थन जुटाने के लिए फिर से अलगाववादी एजेंडे को हवा देने में जुट गई हैं।

श्रीनगर में पार्टी के जिला विकास परिषद के सदस्यों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए महबूबा ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार देश के संविधान का अपमान कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र के कृषि कानून किसानों को मंजूर नहीं हैं और वह इनके खिलाफ कड़ाके की ठंड में आंदोलन कर रहे हैं। अगर आप के लाए कानून लोगों को स्वीकार नहीं हैं तो आप संविधान का सम्मान नहीं कर रहे हो।

उन्होंने कृषि कानूनों के बहाने गुपकार के एजेंडे को रखते हुए कहा कि गुपकार एलांयस जम्मू कश्मीर की पांच अगस्त 2019 से पहले की स्थिति को बहाल करवाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। नेशनल कांफ्रेंस स्वायतता की बात करती थी और पीडीपी सेल्फ रूल की बात करती थी। यह सब भारतीय संविधान के भीतर ही चाहते थे। आप बंदूक के बलबूते पर कितने समय तक शांति कायम कर सकते हो। महबूबा ने कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान उनके पिता स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के दिल के करीब था। दिसंबर 2015 में जब मुफ्ती मोहम्मद सईद मौत के करीब थे तो उस समय उन्होंने कहा था कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाहौर जा सकते हैं तो कश्मीर समस्या का समाधान भी निकल सकता है।

उन्होंने उकसावे वाला बयान देते हुए कहा कि हम शांति चाहते हैं और घुटने टेकने वालों में नहीं हैं। उनकी पार्टी का संघर्ष देश के लोगों के खिलाफ नहीं है मगर पार्टी और सरकार के खिलाफ है जिन्होंने हमारे हक को छीना है। पीडीपी तब तक कहीं भी जाने वाली नहीं है जब तक हम से छीने गए दर्जे को वापस नहीं पा लेती। गुपकार एलायंस बनने से ही सत्ताधारी पार्टी में बौखलाहट बढ़ी है और हमारे कुछ नेताओं को हिरासत में रखा गया है।


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