तीन तालाक बिल पारित होने पर ट्वीटर पर महबूबा से भिड़े उमर अब्दुल्ला Srinagar News
महबूबा मान रही हैं कि उन्होंने ही अपने सांसदों को संसद में वोटिंग का बहिष्कार करने के लिए कहा था।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : राज्य में 35-ए के मुद्दे पर एक मंच पर आने की तैयारी कर रहे कश्मीर केंद्रित दल नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी तीन तलाक को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। इस बिल का विरोध कर रहे पीडीपी के सांसद राज्यसभा में इस बिल पर वोटिंग के दौरान सदन से वाकआउट कर गए। संसद के दोनों सदनों में तीन तलाक बिल पास हो गया। ऐसे में नेकां के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने पीडीपी प्रधान महबूबा मुफ्ती को घेरते हुए सोशल साइट ट्वीटर पर लिखा है कि पीडीपी की गैरमौजूदगी ने राज्यसभा में बिल पास कराने में सरकार की मदद की है।
वहीं, दूसरी ओर महबूबा ने भी इस मुद्दे पर नेकां को घेरा। उन्होंने उमर को याद दिलाया कि नेकां के सांसद सैफुद्दीन सोज ने वर्ष 1999 में संसद में भाजपा के खिलाफ वोट डाला था। इसके लिए उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। पलटवार करते हुए उमर ने लिखा है कि पीडीपी अपनी कमी छिपाने के लिए 20 साल पुरानी घटना का हवाला दे रही है। ऐसा कर महबूबा मान रही हैं कि उन्होंने ही अपने सांसदों को संसद में वोटिंग का बहिष्कार करने के लिए कहा था।
ट्वीट
- उमर अब्दुल्ला - महबूबा मुफ्ती जी, आप को यह चेक करना चाहिए कि इस ट्वीट से पहले आपके सदस्यों ने कैसे वोट किया। मुझे लगता है कि उन्होंने सदन में अनुपस्थित रहकर सरकार की मदद की, क्योंकि बिल पास कराने के लिए उन्हें सदन में नंबर चाहिए थे।
- उमर अब्दुल्ला - पीडीपी अपनी कमी छिपाने के लिए 20 साल पुरानी घटना का हवाला दे रही है। आप मान रही हैं कि आपने अपने सांसदों को संसद में वोङ्क्षटग का बहिष्कार करने के लिए कहा था। वोट का बहिष्कार करना वोट न डालना नहीं है। आपके बहिष्कार करने से भाजपा को फायदा हुआ है।
- महबूबा मुफ्ती - आप नैतिकता के ऊंचे-नीचे आएं। आपकी पार्टी ने सैफुद्दीन सोज को 1999 में भाजपा के खिलाफ वोट डालने के लिए पार्टी से निकाल दिया था। संसद में वोङ्क्षटग का बहिष्कार करने का मतलब वोट नहीं देना होता है।
- महबूबा मुफ्ती - तीन तलाक बिल को पास कराने की जरूरत को समझने में नाकाम हूं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इसे अवैध करार दिया था। मुस्लिम समुदाय को दंडित करने के लिए अनावश्यक का हस्तक्षेप है।
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