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Jammu Kashmir: महबूबा मुफ्ती ने फिर अलापा अपने पिता वाला राग, पाकिस्तान की तुलना चीन से कर दी

कुपवाड़ा के शहीर पुलिस कर्मी के घर सांत्वना देने पहुंची महबूबा मुफ्ति भारत के खिलाफ आतंकियों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले पाकिस्तान की तुलना महबूबा चीन के साथ कर रही थी। वह अपने पिता वाला राग अलाप रही थीं।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 08:56 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 08:56 PM (IST)
Jammu Kashmir: महबूबा मुफ्ती ने फिर अलापा अपने पिता वाला राग, पाकिस्तान की तुलना चीन से कर दी
आतंकी हमले में शहीद हुए कुपवाड़ा के जिरहामा निवासी पुलिस जवान के घर सांत्वना देने के लिए पहुंची महबूबा मुफ्ती

जम्मू, राज्य ब्यूरो : पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि जम्मू कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का मैदान बना हुआ है। दोनों ओर पुलिस वाले, आम आदमी और सुरक्षाबलों के जवान मारे जा रहे हैं। युद्ध किसी भी मसले का हल नहीं है। पाकिस्तान के साथ बातचीत जरूरी है।ये बातें महबूबा ने तब कहीं, जब वह आतंकी हमले में शहीद हुए कुपवाड़ा जिले के जिरहामा क्षेत्र निवासी पुलिस जवान के घर सांत्वना देने के लिए पहुंची थीं। भारत के खिलाफ आतंकियों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले पाकिस्तान की तुलना महबूबा चीन के साथ कर रही थी। वह अपने पिता वाला राग अलाप रही थीं।

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महबूबा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा युद्ध और बंदूक से नहीं, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच आपस में बातचीत से ही हल किया जा सकता है। केंद्र को जम्मू-कश्मीर के लोगों को वार्ता में शामिल करें। शहीद के घर ढांढस बंधाने पहुंची महबूबा ने कहा कि वषों से कश्मीर में कई लोगों की जिंदगी चली गई हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार का इस ओर ध्यान तक नहीं। उन्होंने कहा कि अगर भारत चीन के साथ बातचीत कर सकता है तो पाकिस्तान के साथ क्यों नहीं। चीन भारत की जमीन पर दाखिल हुआ और हमारे 22 जवान शहीद हो गए। बावजूद इसके चीन के साथ बातचीत हुई। यह एकअच्छी बात है।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का मैदान बना हुआ है। युद्ध किसी भी मसले का हल नहीं है। पाकिस्तान के साथ बातचीत जरूरी है। पाकिस्तान के साथ बातचीत के मुद्दे पर केंद्र के रवैये पर महबूबा ने कहा कि ऐसा लगता है कि उन्हें किसी की परवाह ही नहीं है। क्योंकि जब भी पाकिस्तान के साथ बातचीत हुई है, हिंसा में कमी आई है। एक बार फिर से उसी नीति की जरूरत है। और कोई विकल्प नहीं है।


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