नेशनल कांफ्रेंस की बपौती नहीं जम्मू कश्मीर : महबूबा
राज्य ब्यूरो, जम्मू : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ
राज्य ब्यूरो, जम्मू : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि जम्मू कश्मीर किसी भी तरह से नेशनल कांफ्रेंस की बपौती नहीं है। यह रियासत नेकां की निजी जागीर नहीं है। महबूबा ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के उस बयान पर पलटवार किया जिसमें उन्होंने कहा था नई दिल्ली कश्मीरियों को कमजोर बनाने के लिए यहां नए राजनीतिक दलों को प्रोत्साहित कर रही है। वर्ष 2000 में नेकां ने जब स्वायत्तता का प्रस्ताव पारित किया था तो उसे बाद यहां पीडीपी को भी आगे बढ़ाया गया। महबूबा से पूर्व पीपुलस कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने उमर के बयान का नोटिस लेते हुए कहा था कि उमर का दिमागी संतुलन बिगड़ चुक है। उन्हें इलाज कराना चाहिए।
बुधवार को महबूबा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह दुर्भाग्यजनक है कि जम्मू कश्मीर को नेशनल कांफ्रेंस अपनी निजी जागीर मानती है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. मुफ्ती मोहम्मद सईद जब जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को लेकर आए थे तो उस समय नेशनल कांफ्रेंस ने कांग्रेस के लोगों को गंदी नाली का कीड़ा करार दिया था। जब पीडीपी बनी तो उस समय नेकां ने इसी तरह के आरोप लगाए। आज जब शाह फैसल ने अपनी पार्टी बनाई है तो उमर अब्दुल्ला फिर वही बात दोहरा रहे हैं।
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में जब भी कोई नया राजनीतिक दल बनता है, उमर को लगता है कि वह उनकी जागीर जम्मू कश्मीर पर हक जताएगा। हम लोकतांत्रिक राष्ट्र में रहते हैं। इस मुल्क में हरेक को अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने, अपने विचारों के आधार पर सियासत का अधिकार है। जम्मू कश्मीर किसी भी तरह से नेकां की निजी जागीर नहीं है। गत रविवार को शाह फैसल ने अपना राजनीतिक दल बनाया है। उसी दिन अनंतनाग में पत्रकारों ने बातचीत के दौरान जब उमर से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा था कि नई दिल्ली कश्मीरियों की आवाज को बांट रही है। सिर्फ कश्मीर में ही यह राजनीतिक दल क्यों बन रहे हैं। लददाख या जम्मू में क्यों नहीं बन रहे हैं। उन्होंने दिल्ली को परोक्ष रूप से कश्मीर के खिलाफ साजिशों का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि था कि जम्मू और लददाख में सियासी मैदान को सिर्फ कांग्रेस व भाजपा के लिए खुला छोड़ा है। यहां कश्मीर में हमेशा लोगों को सियासी आधार पर बांटने के प्रयास होते हैं।