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अदालत पर केसों का बोझ करने के लिए मध्यस्ता बेहतर विकल्प

जागरण संवाददाता, जम्मू : अदालतों में लंबित केसों का बोझ कम करने व जनता को समय पर इंसाफ ि

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Oct 2018 10:07 PM (IST)Updated: Sun, 07 Oct 2018 10:07 PM (IST)
अदालत पर केसों का बोझ करने के लिए मध्यस्ता बेहतर विकल्प
अदालत पर केसों का बोझ करने के लिए मध्यस्ता बेहतर विकल्प

जागरण संवाददाता, जम्मू : अदालतों में लंबित केसों का बोझ कम करने व जनता को समय पर इंसाफ दिलाने के लिए मध्यस्ता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से श्रीनगर में आयोजित तीन दिवसीय वर्कशाप रविवार को सम्पन्न हुई। राज्य की चीफ जस्टिस गीता मित्तल समापन सत्र को संबोधित किया।

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चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने अदालतों पर केसों का बोझ कम करने व लंबित मामलों के जल्द निपटारे के लिए मध्यस्ता को एक बेहतर विकल्प करार दिया। उन्होंने कहा है कि इसे जितना प्रोत्साहित व मजबूत किया जाए, न्यायिक व्यवस्था व जनता के लिए उतना ही बेहतर होगा। पारिवारिक मामलों व व्यवसायिक मामलों में यह विकल्प बेहतर काम कर सकता है। इसमें लोक अदालतें सहयोगी साबित होती हैं। जम्मू-कश्मीर में यह वैकल्पिक न्यायिक व्यवस्था दस साल पहले आई। इसे प्रोत्साहित करने व लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की जरूरत है, ताकि लोगों को समय पर इंसाफ मिले। चीफ जस्टिस ने कहा कि मध्यस्ता भी एक कौशल है। आज विश्व भर के कई केन्द्रों में वकीलों को इसमें प्रशिक्षित करने के लिए विशेष कार्यशालाएं हो रही हैं। जजों व वकीलों के लिए नियमित स्तर पर ऐसे आयोजन करने की जरूरत पर बल देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि इससे उनका कौशल व क्षमता बढ़ेगी। उन्होंने वर्कशाप में शामिल हुए वक्ताओं का आभार भी प्रकट किया।

इस मौके पर जस्टिस ताशी रबस्तान, जस्टिस अलोक आराध्य, जस्टिस अली मोहम्मद मागरे, जस्टिस डीएस ठाकुर, जस्टिस संजीव कुमार, जस्टिस एमके हंजूरा, जस्टिस ¨सधु शर्मा, जस्टिस राशिद अली डार व एडवोकेट जनरल डीसी रैना मुख्य रूप से मौजूद रहे।


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