'विवाहित बेटी भी है मुआवजे की हकदार', जम्मू-कश्मीर की अदालत ने पारिवारिक विवाद पर दिया फैसला
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि विवाहित बेटी भी अपने माता-पिता की मृत्यु पर मुआवजे की हकदार है। अदालत ने पारिवारिक विवाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया और स्पष्ट किया कि विवाहित होने के बावजूद बेटी का अपने माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार है। अदालत ने मुआवजे के वितरण को लेकर परिवार में विवाद के मामले में हस्तक्षेप किया।

फाइल फोटो
जेएनएफ, जम्मू। जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया है कि विवाहिता लड़की भी मुआवजे की हकदार है। बेंच ने गुलाम जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों के लिए प्रधानमंत्री राहत पैकेज के तहत दिए गए मुआवजे को लेकर उत्पन्न पारिवारिक विवाद में यह फैसला सुनाया।
प्रशासन की ओर से विस्थापित परिवार के सभी सदस्यों में बराबर का मुआवजा बांटा गया था जिसमें परिवार के मुखिया स्वर्गीय काका सिंह की विवाहित बेटी को भी मुआवजा जारी हुआ। परिवार के सदस्य रछपाल सिंह ने इसे चुनौती देते हुए कहा कि स्वर्गीय काका सिंह की बेटी का विवाह हो चुका है, लिहाजा वो मुआवजे की हकदार नहीं है। इस दावे को खारिज करते हुए बेंच ने स्पष्ट किया कि लड़का हो या लड़की, परिवार के मुखिया की हर संतान बराबर की हकदार है।

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