Everest Day: जम्मू कश्मीर के जांबाज बुलंद हौसले से नाप चुके एवरेस्ट
मिस इंडिया की पूर्व फाइनलिस्ट व एक सफल उद्योगपति संगीता बहल को उनके जुनून ने एवरेस्टर बना दिया। वर्ष 2018 में उन्होंने विश्व की सबसे उम्र दराज एवरेस्टर होने का गौरव पाया।
जम्मू, जागरण संवाददाता : Everest Day: माउंट एवरेस्ट..नाम सुनते ही जेहन में दुर्गम चढ़ाई और बर्फ से ढंकी चोटियां सामने आ जाती हैं। जम्मू-कश्मीर में कई ऐसे जांबाज हैं जिन्होंने इन चोटियों को बुलंद इरादों और कदमों से नापा है। एवरेस्ट फतह करने वालों में प्रदेश की बेटियां सबसे आगे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के राम सिंह सलाथिया ने सबसे पहले वर्ष 2008 में एवरेस्ट चोटी फतह करके इतिहास रचा था। उन्होंने जो राह दिखाई, उस पर चलते हुए अब तक जम्मू-कश्मीर से दर्जन से अधिक जांबाज विश्व की सबसे ऊंची चोटी को फतह कर चुके हैं। कर्नल रणवीर जम्वाल तीन बार एवरेस्ट पर जा चुके हैं।
दुनियाभर में 2200 लोग ही आज तक इस चोटी को फतह कर पाए हैं। इस प्रयास में 200 पर्वतारोही अपनी जान भी गवां चुके हैं। बावजूद जम्मू-कश्मीर के पर्वतारोहियों के हौसले बुलंद हैं। दो साल पहले ही जम्मू की बेटी संगीता बहल ने 70 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही बर्फीली हवाओं के बीच एवरेस्ट पर विजय का पताका फहराकर लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस में नाम दर्ज करवाया। ऐसा करके वो एवरेस्ट फतह करने वाली भारत की उम्र दराज महिला बन गई। इतना ही नहीं एवरेस्ट फतेह करने वालों में कश्मीर का नाम नहीं था। गत वर्ष नाहिदा एवरेस्ट फतेह करने वाली कश्मीर की पहली बन गई। श्रीनगर में जेवन पंथा चौक की रहने वाली नाहिदा ऑनलाइन चंदा जुटाकर माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) को फतह की थी। इस मिशन में आने के लिए उसने कई कठिनाइयां ङोलीं। इससे पहले कश्मीर में स्थित 3966 मीटर ऊंची चोटी महादेव पर भी फतह हासिल की थी।
कर्नल रणबीर के सामने नतमस्तक हैं कई चोटियां: वर्ष 2012, वर्ष 2013 व वर्ष 2016 में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतेह कर चुके कर्नल रणवीर जम्वाल के सामने कई चोटियां नतमस्तक हो चुकी हैं। विश्व की सात सबसे ऊंची चोटियों पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने का कारनामा करने वाले भारतीय सेना के पहले जाबांज सैन्य अधिकारी एवरेस्टर कर्नल रणवीर जम्वाल डुग्गर धरती जम्मू के सपूत है। शेर-ए-कश्मीर सहित दो बार सेवा विशिष्ट पदक हासिल करने वाले कर्नल रणवीर जम्वाल सांबा जिला के रहने वाले हैं। उन्होंने 4 जनवरी 2019 को अंटार्टिका स्थित माउंटेन विनसन को जब फतेह किया था तब वह ऐसा कारनामा करने वाले सेना के पहले और देश के नौवें पर्वतारोही थे। वर्ष 2012 को उनकी पहली एवरेस्ट चढ़ाई को डिस्कवरी चैनल ने कवर किया था। जम्वाल ने कोपिआपो चिली में स्थित छह हजार मीटर ऊंची छह चोटियां सहित 6893 मीटर ऊंची ज्वालामुखी पर्वत ओजोस डील सालादो की चोटी पहली बार फतेह करने का भी कीर्तिमान रचा है। 23 अक्टूबर 2010 को अफ्रीका स्थित 19,340 फीट ऊंची माउंट किलिमांजरो, एक जनवरी 2013 को साउथ अमेरिका स्थित 22,841 फीट ऊंची माउंट अकानकागुआ, 26 जून 2014 को यूरोप स्थित 18,510 फीट ऊंची माउंट इलब्रस, 9 अक्टूबर 2015 को 16,024 फीट ऊंची कारस्टेनस्ज पिरामिड, 20 जून 2017 को नार्थ अमेरिका स्थित 20,320 फीट ऊंची माउंट डीनाली और 4 जनवरी 2019 को अंटार्टिका स्थित 16,050 फीट ऊंची माउंट विनसन फतेह कर चुके हैं।
जुनून ने मॉडल व उद्यमी से बना दिया एवरेस्टर : मिस इंडिया की पूर्व फाइनलिस्ट व एक सफल उद्योगपति संगीता बहल को उनके जुनून ने एवरेस्टर बना दिया। वर्ष 2018 में उन्होंने विश्व की सबसे उम्र दराज एवरेस्टर होने का गौरव पाया। इससे पहले भी वह एवरेस्ट फतेह करने का प्रयास कर चुकी थी, लेकिन बीच रास्ते में बीमार होने के कारण उन्हें अपना अभियान रोकना पड़ा था। उनका जुनून कम नहीं हुआ और उन्होंने 2018 में एवरेस्ट फतह कर साबित कर दिया कि हौसलों के सामने उम्र का कोई महत्व नहीं।
ये शूरवीर कर चुके फतह
- राम सिंह सलाथिया
- रणवीर जम्वाल
- रफीक अहमद
- राम सिंह
- संगीता बहल
- सेरिंग लाडोल
- स्टेरजिन लसकित
- ताशी तसकित
- सेरिंग अंगमो
- रिगजिन डोलकर
- नाहिदा खातून
- नजीर अहमद
- फलील सिंह
क्यों मनाया जाता है यह दिन: 1953 में इस दिन नेपाल के तेनजिंग नोर्गे और न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने वाले पहले व्यक्ति बने थे। इस दिन को नेपाल ने 2008 से अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया जब महान पर्वतारोही हिलेरी का निधन हुआ। 1953 में दिन सर एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे शेरपा द्वारा माउंट एवरेस्ट की पहली चढ़ाई की याद में हर वर्ष 29 मई को एवरेस्ट दिवस मनाया जाता है।