मकान तोड़ दिया पर पैसे मिले नहीं, अब खुला आसमान बना बसेरा, आवास योजना में ठगा महसूस कर रहे लोग
वार्ड नंबर 31 व 32 में ऐसे मामले सामने आए हैं जहां लोगों को एक-दो किश्त मिलने के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पैसे नहीं मिल रहे। उनके मकान का निर्माण अधर में लटक कर रह गया है। दफ्तरों के चक्कर काट रहे लोगों की कोई सुन नहीं रहा।
जम्मू, अंचल सिंह : प्रधानमंत्री आवास योजना में नाम आने के बाद नया आशियाना बनाने के लिए उन्होंने पुराना घर तोड़ दिया। नए घर की दीवारें बनाने लगे। सोचा महीने-पंद्रह दिन में काम पूरा हो जाएगा और वे अपने नए घर के अंदर चैन से सो पाएगा। घर का सामान दूसरे के घरों में रख दिया। खुश थे कि प्रधानमंत्री के प्रयासों से अब उन्हें आशियाना मिलने जा रहा है। झटका अब लगा जब उनका योजना से नाम ही गायब कर दिया गया। न पैसे मिल रहे हैं और न ही कोई पूछ ही रहा। अब वे खुले आसमान के नीचे आ गए हैं।
शहर के वार्ड नंबर 31 व 32 में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां लोगों को एक-दो किश्त मिलने के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पैसे नहीं मिल रहे। उनके मकान का निर्माण अधर में लटक कर रह गया है। दफ्तरों के चक्कर काट रहे लोगों की कोई सुन नहीं रहा। आगे सर्दी का मौसम है। खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर लोग बेहाल हैं। परेशानी में कभी एक तो कभी दूसरे नेता के चक्कर भी काट रहे हैं, लेकिन कुछ करते नहीं बन रहा।
हाउसिंग विभाग में संबंधित सेक्शन आफिसर पीसी शर्मा का कहना है कि फाइलों को एप्रूवल के लिए भेजा गया है। जल्द ही पैसे आ जाएंगे। सभी लाभार्थियों को पैसा मिल जाएगा। शायद तकनीकी कारणों के चलते थोड़ी देरी हुई है।
दो दर्जन लोग आशियानों को ग्रहण : शहर के वार्ड नंबर 31 और 32 में दो दर्जन के करीब लोग हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री अावास योजना के तहत घरों का निर्माण शुरू किया। इनमें वार्ड नंबर 31 के पूर्ण नगर, गोल कालोनी, भवानी नगर, डीसी कालोनी, मेटाडोर स्टेंड भगवती नगर और वार्ड नंबर 32 के गोल पंजपीर, सैनी मुहल्ला, ओम नगर, रेव्न्यू कम्पलेक्स, मुंंशी चक, गुजराल मुहल्ला आदि के लोग शामिल हैं। यहां लोगों ने योजना के तहत निर्माण तो शुरू कर दिया लेकिन अब पैसे ही नहीं मिल रहे। जिससे वे दरबदर होकर रह गए हैं। कुलवंत कौर, राज कुमार, संतोख राज, अशोक कुमार, प्रभु दयाल, स्वर्णाे देवी, प्रवीण गुप्ता, मदन लाल, रिंकू कुमार आदि हैं जिन्हें पैसे नहीं मिले व काम अधर में लटक गए हैं।
यह रहती है प्रक्रिया : प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फार्म मंजूर होने के बाद आवेदक को सबसे पहले घर की नींव खुद के पैसों से डालनी होती है। फिर उसे सरकार की तरफ से पहली किश्त जारी की जाती है। दूसरी किश्त दीवारें बनाने पर मिलती है। तीसरी लैंटर डालने और फिर चौथी किश्त निर्माण पूरा हो जाने पर दी जाती है। कुल 1.66 लाख रुपये की राशि इस योजना के तहत मिलती है। वार्ड 31 व 32 में कुछ लोगों को एक तो कुछ को दो किश्तें ही मिलीं। शेष काम अधर में लटका पड़ा है। कुछ लोगों ने उधार लेकर काम तो पूरा कर लिया लेकिन अब पैसे नहीं मिल रहे। वे दरबदर होकर रह गए हैं। अधिकतर गरीब लोग खुले में सोने को मजबूर हैं। घरों का सामान आसपास के लोगों के घरों में रखा हुआ है।
‘कई बार जियो टैगिंग की जा चुकी है। बावजूद इसके हमें पैसे नहीं दिए जा रहे है। काम अधर में लटका पड़ा हुआ है। उधार लेकर और काम कर लिया तो पता चले सारा पैसा ही फंसकर रह गया और हमारे घर बयाज में ही बिक जाएं।’
-राज कुमार, स्थानीय निवासी
‘करीब दो साल से हमें लटकाया हुआ है। उधार लेकर मकान का निर्माण शुरू कर दिया था। लोगों को इस तरह गुमराह नहीं किया जाना चाहिए। अगर मंजूरी दी जाती है तो पैसे साथ-साथ दिए जाने चाहिए। परेशान करके रख दिया है। इससे तो अच्छा तो काम ही नहीं करवाते।’
-पिंकी भट्ट, स्थानीय निवासी
‘सर्दियां शुरू होने वाली हैं। अब तो खुले में भी नहीं सोया जाएगा। कुछ समय तो हमने दूसरों के घरों में सामान रखकर गुजार लिया। अागे मुश्किल हो जाएगी। हम गरीब हैं। कोई परवाह नहीं कर रहा। सरकार जल्दी हमारी राशि जारी करें।’
-निमो देवी, स्थानीय निवासी
‘पिछले दो सालों से लोगों को मकान के नाम पर तंग किया जा रहा है। अधिकारी शायद कोई कुछ गड़बड़ करना चाहते हैं। सरकार ने पारदर्शिता रखी है और इन्हें कुछ मिल नहीं रहा। गरीब लोगों को तंग किया जा रहा है। बिना देरी गरीब लोगों को घरों की किश्तें दी जाएं।’
-आरती देवी, स्थानीय निवासी
‘हमारे यहां दर्जन से ज्यादा लोग हैं जिनके पैसे फंस गए हैं। हाउसिंग वाले पैसे देने के लिए चक्कर लगवा रहे हैं। गरीब इंसान की कोई सुनवाई नहीं होती। जल्द शेष किश्तें जारी की जाएं। पहले ही गरीबी ने मार रखा है। सर्दियों में मरने को मजबूर न करें। जल्द छत पड़ जानी चाहिए।’
-मनोहर लाल, स्थानीय निवासी
केंद्रीय मंत्री से उठाएंगे मामला : वार्ड 31 के कारपोरेटर सुच्चा सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के सपनों को ग्रहण लगाने की कोशिश की जा रही है। हाउसिंग विभाग के अधिकारी टालमटोल की नीति अपना रहे हैं। अपनी गलतियां छिपाने के लिए लोगों को तंग कर रहे हैं। किसी को एक तो किसी को दो किश्तें ही मिली हैं। कई ने उधार लेकर काम पूरा करवा लिया है। अब पैसे नहीं मिल रहे। जब जियो टैगिंग भी की जा चुकी है तो फिर लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। हम केंद्रीय आवास मंत्री हरदीप पुरी से भी मामले को उठाएंगे। प्रधानमंत्री के नाम पर कंलक नहीं लगने दिया जाएगा। संबंधित अधिकारियों से मैंने बात की। आज कर देंगे, कल कर देंगे कहते रहते हैं।