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Jammu Kashmir : ग्राहकों के स्वाद व विश्वास को रखा बरकरार तो लॉकडाउन में और मजबूत हुए रिश्ते

व्यापार में सबसे अहम है ग्राहकों का विश्वास। लगातार शुद्धता गुणवत्ता की कसौटी पर सख्त नियमों में स्वयं को कसते हुए उनकी पसंद को प्राथमिकता देते हुए हम आगे बढ़ते रहे और यही कारण है कि ग्राहकों का विश्वास और प्यार बढ़ता गया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 06:28 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 06:28 PM (IST)
Jammu Kashmir : ग्राहकों के स्वाद व विश्वास को रखा बरकरार तो लॉकडाउन में और मजबूत हुए रिश्ते
सुरेंद्र जैन ने 1980 में सराजां ढक्की में एक छोटी सी चक्की लगाकर आटा पीसकर बेचने का काम शुरू किया

जम्मू, ललित कुमार । व्यापार में सबसे अहम है ग्राहकों का विश्वास। शुद्धता और गुणवत्ता की कसौटी के सख्त नियमों में स्वयं को कसते हुए ग्राहक की पसंद और सुविधा को प्राथमिकता देकर हम आगे बढ़ते रहे। यही कारण है कि ग्राहकों का विश्वास और प्यार बढ़ता गया। जम्मू के जैन मसालों के संचालक सुरेंद्र पाल जैन बताते हैं कि इसी शुद्धता और गुणवत्ता की बदौलत दशकों से हमारे मसाले जम्मूवासियों के खाने में स्वाद भरते आ रहे हैं।

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वह बताते हैं कि मसालों के अलावा आटा, बेसन, मैदा और अन्य किरयाना चीजें का शहर में कोई मेल नहीं। आज के दौर में लोग मोल-भाव नहीं शुद्धता की गारंटी चाहते हैं। हमने इससे कभी समझौता नहीं किया। शायद इसी विश्वास की बदौलत लोगों का प्यार बढ़ता जा रहा है। दशकों से ग्राहकों के साथ इनका एक अटूट रिश्ता बन चुका है।

1980 में सराजां ढक्की में एक छोटी सी चक्की लगाकर आटा, बेसन, मैदा पीसकर बेचने का काम शुरू किया था

सुरेंद्र पाल जैन ने अपने भाई अशोक कुमार जैन के साथ 1980 में सराजां ढक्की में एक छोटी सी चक्की लगाकर आटा, बेसन, मैदा पीसकर बेचने का काम शुरू किया था। सुरेंद्र जैन बताते है कि उस जमाने में एक बार एक व्यापारी उनके पास मसाले पिसवाने के लिए आया लेकिन उन्होंने उसे पीसने से इन्कार कर दिया क्योंकि उनमें मिलावट थी। उस दिन वो चौंके कि लोग किस तरह मिलावटी सामान खा रहे हैं। उसी दिन फैसला किया कि वह खुद के मसाले पीसेंगे और बेचेंगे। इसकी शुरूआत उन्होंने नवरात्र में खाने वाले सिंगाड़ा के आटे से की।वह बताते है कि इसमें बहुत मेहनत होती है। इसी धोकर चुनना पड़ता है और फिर पिसाई होती है। उनके परिवार की महिलाओं ने मदद की। लोगों को इतना पसंद आया कि बाजार से महंगे दाम पर हाथों-हाथ खरीद कर ले गए। इसी तरह उन्होंने मसालों का काम भी शुरू किया लेकिन जीवन में एक नियम रखा कि ग्राहकों को सामान वही बेचेंगे, जिसे वह खुद घर में खाने लायक समझेंगे। सुरेंद्र बताते है कि आज भी उनके घर में वही करियाना आता है जो उनकी दुकान पर बिकता है। जो आटा-मसाले वो लोगों को खिलाते हैं, वहीं घर में खाते है और यहीं उनकी सफलता का राज भी है।

ग्राहकों के प्यार व विश्वास के कारण आज उनकी महावीर इंडस्ट्रीज व मानव इंडस्ट्रीज है

सुरेंद्र जैन बताते है कि चालीस साल पहले उन्होंने जो छोटा सा कारोबार शुरू किया था, ग्राहकों के प्यार व विश्वास के कारण आज इतना समृद्ध है कि गंग्याल में उनकी महावीर इंडस्ट्रीज व मानव इंडस्ट्रीज है और उसे बेटा अमित जैन संभाल रहा है। तालाब तिल्लो में मानव सुविधा शॉपी है और नानक नगर में उन्होंने एक फ्रेंचाइजी भी दी है। शहर के अलावा उनके मसाले अब ऊधमपुर, रामनगर व कोट भलवाल में बेचे जा रहे हैं। अब तो उनके पास चंडीगढ़ व कश्मीर से भी मांग लगातार बढ़ रही है।

ग्राहकों के विश्वास ने उन्हें लॉकडाउन जैसे हालात से भी उभरने में सहयोग किया

सुरेंद्र पाल जैन बताते हैं कि लोगों का विश्वास ही हमें प्रचार देता गया। ग्राहकों के इसी विश्वास ने उन्हें लॉकडाउन जैसे हालात से भी उभरने में सहयोग किया। सुरेंद्र बताते हंै कि जब लॉकडाउन हुआ तो उनकी दुकान तो खुली रही लेकिन फैक्ट्रियां बंद थी। इसलिए उत्पादन कुछ कम रहा। फैक्ट्रियां खुलने के साथ ही उत्पादन पटरी पर लौटने लगा लेकिन मुसीबत यह थी कि लोग पहुंच नहीं पा रहे थे। इसके लिए उन्होंने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। सोशल मीडिया के सहयोग से अपने ग्राहकों से संपर्क साधा। ग्राहक भी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन पहुंच नहीं पा रहे थे। ग्राहकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से आर्डर देना शुरू किए। लोग ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर कर देते थे और हम उनका सामान पैक करके कोरियर के माध्यम से भेज देते थे।

ग्राहकों तक पहुंचने के लिए उन्होंने अपने तीन कर्मचारियों को स्कूटर खरीद कर दिया 

सुरेंद्र जैन बताते है कि ग्राहकों तक पहुंचने के लिए उन्होंने अपने तीन कर्मचारियों को स्कूटर खरीद कर दिया जिससे ग्राहकों तक सामान पहुंच सके। जम्मू के बाहर के खरीदारों व अपने सप्लायर्स के लिए भी वाट्सएप व वीडियो कांफ्रेंसिंग जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया। इस तरह हमारे ग्राहकों से रिश्ते मजबूत होते गए। सुरेंद्र जैन कहते है कि प्रभु की कृपा व अपने ग्राहकों के अटूट संबंधों के कारण वह लॉकडाउन में भी अपने सभी कर्मचारियों को वेतन देने में सक्षम रहे। यहां तक कि जो कर्मचारी लॉकडाउन की वजह से घरों को चले गए थे, उन्हें भी पूरा वेतन दिया गया। लक्ष्य यही है कि यह विश्वास निरंतर बनाए रखें।


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