उलेमाओं और मौलवी मस्जिदों में जिहादी पाठ न पढ़ाएं : महबूबा
कश्मीर कोई मजहबी नहीं बल्कि सियासी मसला है। इसे मजहबी रंग नहीं दिया जाए। बंदूक से जन्नत नहीं मिलती, जन्नत तो मां-बाप के कदमों में होती है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर कोई मजहबी नहीं बल्कि सियासी मसला है। इसे मजहबी रंग नहीं दिया जाए। बंदूक से जन्नत नहीं मिलती, जन्नत तो मां-बाप के कदमों में होती है। उलेमाओं और मौलवी मस्जिदों में जिहादी पाठ न पढ़ाएं। ये बातें जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविार को राज्य मुस्लिम वक्फ बोर्ड के मौलवियों और उलेमाओं की बैठक में कहीं।
उन्होंने कहा कि कश्मीर विरोधी ताकतों ने अपने फायदे के लिए इसे मजहबी रंग देने का प्रयास किया है और इसका नुकसान पूरा कश्मीर उठा रहा है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यहां मस्जिदों में कुछ लोग कश्मीर मसले पर बड़े-बड़े भाषण देते हुए इसे मजहबी मसला बनाते हैं।
जिहाद के नारे दिए जाते हैं और नौजवानों को बंदूक उठाने के लिए उकसाया जाता है। नौजवानों से कहा जाता है कि जिहाद करते हुए मरोगे तो जन्नत मिलेगी। बंदूक से जन्नत नहीं मिलती, जन्नत तो मां-बाप के कदमों तले है। इसलिए मस्जिदों में उलेमाओं व मौलवियों को जिहाद पढ़ाने के बजाय लोगों को बताना चाहिए कि इस्लाम पूरी दुनिया में शांति और सौहार्द का संदेश देने की ताकीद करता है।
जो नौजवान अपने मां-बाप को छोड़, उन्हें मायूस कर बंदूक उठाते हैं, वह जन्नत से वंचित हो जाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम मुस्लिम हैं, इस्लाम हमारा दीन है। हरा रंग इस्लाम की निशानी है। इसलिए हम सभी को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर हरियाली का प्रचार करना चाहिए। इस्लाम भी पेड़ों के संरक्षण पर जोर देता है।