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महाराजा हरि सिंह के पौत्र विक्रमादित्य का एमएलसी पद से इस्तीफा

सरकार इस आधार पर बनी थी कि सीमांत क्षेत्र के किसानों को सुरक्षित स्थनों पर प्लाट दिए जाएंगे। घर-घर में बंकर बनाए जाएंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 23 Oct 2017 02:17 PM (IST)Updated: Mon, 23 Oct 2017 02:17 PM (IST)
महाराजा हरि सिंह के पौत्र विक्रमादित्य का एमएलसी पद से इस्तीफा
महाराजा हरि सिंह के पौत्र विक्रमादित्य का एमएलसी पद से इस्तीफा

जम्मू, [जागरण संवाददाता] । अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह के पौत्र विक्रमादित्य सिंह ने जम्मू से भेदभाव के खिलाफ पीडीपी और एमएलसी पद से त्याग पत्र दे दिया है। उन्होंने अपना त्यागपत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया।विक्रमादित्य ने संवाददाता सम्मलेन में कहा कि वह जब भी जम्मू का कोई भी मुद्दा उठाते रहे, उन्हें पार्टी से साइड लाइन किया जाता रहा।

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महाराजा हरि सिंह की जयंती पर छुट्टी का प्रस्ताव पारित होने के बावजूद सरकारी छुट्टी न करवाना दर्शाता है कि उनकी उपेक्षा हो रही है। सरकारी नौकरियों से लेकर विकास तक हर क्षेत्र में जम्मू व लद्दाख की अनदेखी हो रही है। जब तक सभी संभागों को क्षेत्रीय स्वायत्तता नहीं मिल जाती, सभी संभाग के जिलों के हितों की रक्षा संभव नहीं है। विक्रमादित्य ने कहा कि चार वर्ष पहले स्व. मुफ्ती मुहम्मद सईद ही उन्हें राजनीति में लाए थे। वह बड़ी सोच के व्यक्ति थे। सभी को साथ लेकर चलने में विचार करते थे।

महबूबा और उनकी सोच में जमीन आसमान का अंतर है। उनकी सोच सिर्फ एक समुदाय विशेष और कश्मीर केंद्रित है। जब से महबूबा ने नेतृत्व संभाला है, राज्य भर में अराजकता का माहौल है। उनकी सोच के साथ चलना उनके लिए मुश्किल हो रहा था, इस कारण उन्होंने पार्टी से त्यागपत्र देना ठीक समझा। क्योंकि एमएलसी भी वह उनकी पार्टी के सहयोग से बने थे, इसलिए नैतिकता के आधार पर यह पद भी छोड़ दिया है। यह पूछे जाने पर कि इसके बाद वह किस पार्टी में शामिल होंगे, उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी उन्होंने नहीं सोचा है। फिलहाल वह जम्मू संभाग के दूरदराज क्षेत्रों के दौरे कर लोगों से मिलेंगे। लोगों की समस्याओं को जमीनी तौर पर समझने के बाद ही वह कोई निर्णय लेंगे। उन्होंने साफ किया कि वह किसी चिनाब वैली, पीर पंचाल कंसेप्ट को नहीं मानते। पूरे जम्मू संभाग को एक मानते हैं। अपना त्याग पत्र देने के पीछे उन्होंने कई कारण बताए जिनमें रो¨हग्या मुद्दा भी शामिल है। सरकार इस आधार पर बनी थी कि सीमांत क्षेत्र के किसानों को सुरक्षित स्थनों पर प्लाट दिए जाएंगे। घर-घर में बंकर बनाए जाएंगे।

मुआवजा राशि बढ़ाई जाएगी लेकिन कोई भी मुद्दा नहीं सुलझाया गया है। विकास के साथ सांस्कृतिक एवं साहित्यिक भेदभाव भी हो रहा है। डोगरा प्रमाण पत्र, कश्मीरी लेक्चरर्स पद जम्मू में थोपने और डोगरी की उपेक्षा करने पर भी उन्होंने आवाज उठाई तो पार्टी में उनकी आलोचना हुई। पिता से किया विचार-विमर्शजब विक्रमादित्य से पत्रकारों ने पूछा कि क्या उन्होंने अपने पिता डॉ. कर्ण सिंह से त्यागपत्र देने से पहले विमर्श किया है। इस पर उन्होंने कहा कि वह उनके परिवार, डोगरा परिवार के बडे़ हैं। उनकी सहमति से उन्होंने यह निर्णय लिया है। यह पूछे जाने पर कि क्या अजातशत्रु भी भाजपा से त्यागपत्र देंगे, उन्होंने कहा कि यह उनका निजी मामला है। ज्ञातव्य है कि महाराजा हरि सिंह की जयंती पर दोनों भाई एक साथ खड़े दिखे थे।


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