मां वैष्णो ने दी बच्चियों को आवाज, माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने करवाया कश्मीर की दो मूकबधिर बच्चियों का निशुल्क इलाज
मूक बधिर कश्मीर की दो बच्चियों को श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने नई जिंदगी दी है। दोनों का श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में निशुल्क इलाज हुआ।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । आर्थिक रूप से कमजोर व मूक बधिर कश्मीर की दो बच्चियों को श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने नई जिंदगी दी है। दोनों का श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में निशुल्क इलाज हुआ। श्रीनगर के खनयार और बेमिना की दोनों बच्चियों को बचपन से न सुनाई देता था और न वे बोल पाती। एक बच्ची की मां गुलशन ने बताया कि बेटी से अम्मी शब्द सुन खुशी का ठिकाना नहीं रहा। परिवार को उसके ठीक होने की कोई भी उम्मीद नहीं रह गई थी। उसका इलाज केवल लाखों की लागत वाला काकलेयर इम्प्लांट सर्जरी ही था। उनके पास इतने रुपये नहीं थे कि इलाज करवा पाती। इस दौरान उन्हें श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में किसी ने जांच कराने को कहा। डॉ. रोहन गुप्ता ने उनका दर्द भी समझा। उन्होंने हमारे केस को श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड में भेज दिया। बोर्ड के सीईओ ने भी उनके केस को वित्तीय सहायता के लिए देरी नहीं की। आज उनकी बेटी भी सुन रही है। इससे बड़ा तोहफा एक मां के लिए और क्या होगा। दूसरी बच्ची के पिता एजाज अहमद डार का कहना है कि बोर्ड ने उनकी बेटी को नई जिंदगी दी है। हमारा पूरा परिवार बेहद खुश है।
सर्जरी के लिए श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का भी आभार जताया
उन्होंने सर्जरी के लिए श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का भी आभार जताया। दोनों की सर्जरी पद्मश्री डॉ. जेएम हंस, डॉ. सुनील कोतवाल और डॉ. रोहन गुप्ता शामिल थे। डॉ. सरिता, डॉ. तिरूपति और डॉ. संतोष ने सहयोग किया। अस्पताल के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डॉ. मनमोहन हरजेई ने कहा कि पूरे जम्मू-कश्मीर में सिर्फ यही अस्पताल काकलेयर इम्प्लांट उपलब्ध करवाता है। उनका मकसद है कि किसी की जिंदगी में भी सन्नाटा न हो। आगे भी इस प्रकार के बच्चों की सहायता करने को प्रयास होगा। डॉ. हेस और डॉ. कोतवाल ने गरीब बच्चों को लाखों की लागत वाले यह इम्प्लांट उपलब्ध करवाने की सराहना की। डॉ. रोहन ने बताया कि अगर तीन साल की उम्र तक बच्चे का इलाज हो जाए तो वह पूरी तरह से सुन सकता है। देश के अन्य भागों की तरह जम्मू कश्मीर के ब'चों में यह समस्या बहुत है।