गलवान के हीरो की पत्नी लेफ्टिनेंट रेखा ने LAC पर संभाला मोर्चा, उत्तरी कमान प्रमुख ने बताया प्रेरणास्रोत
Jammu-Kashmir News पति नायक दीपक सिंह के बलिदान होने के बाद रेखा सिंह ने तय किया था कि पति की तरह सेना में भर्ती होकर देश सेवा की राह पर चलेंगी। अप्रैल के अंत में आर्मी ट्रेनिंग अकादमी से पासआउट होने के बाद सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुईं।
राज्य ब्यूरो, जम्मूः देश की सुरक्षा के लिए जिस गलवान घाटी में भारतीय सेना के जांबाज सिपाही दीपक ने बलिदान दिया, उसी पूर्वी लद्दाख में एलएसी (LAC) पर उनकी पत्नी रेखा ने मोर्चा संभाल लिया है।
उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को लद्दाख दौरे के दौरान लेफ्टिनेंट रेखा सिंह से भेंट की और उनके देश सेवा के जज्बे को सराहा। आर्मी कमांडर ने कहा कि सैन्य अधिकारी रेखा सिंह देश की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने रेखा सिंह से पूर्वी लद्दाख में पहली पोस्टिंग के अनुभवों के बारे में जानकारी ली।
पति की राह पर चलने की ठानी
रेखा सिंह सेना की ऑर्डिनेंस में तैनाती है। पति नायक दीपक सिंह के बलिदान होने के बाद रेखा सिंह ने तय किया था कि पति की तरह से सेना में भर्ती होकर देश सेवा की राह पर चलेंगी। वह अप्रैल के अंत में चेन्नई स्थित आर्मी ट्रेनिंग अकादमी से पासआउट होने के बाद सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुई थीं।
उनकी पहली तैनाती उसी पूर्वी लद्दाख में हुई जहां चीनी सेना के साथ हुई हिंसक मुठभेड़ में नायक दीपक दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देते हुए बलिदान हुए थे।
वीरता के लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। एक वीरनारी के रूप में यह वीर चक्र रेखा सिंह ने हासिल किया था। मध्य प्रदेश के रीवा निवासी दीपक सिंह सेना में चिकित्सा सहायक थे। सेना की चिकित्सा कोर में भर्ती दीपक सिंह को जनवरी 2019 में पूर्वी लद्दाख में तैनात सेना की 16 बिहार रेजीमेंट में भेजा था।
रेखा से शादी नवंबर 2019 में हुई। शादी के कुछ महीनों बाद जब चीनी सैनिकों ने गलवान में घुसपैठ की कोशिश की तो कर्नल संतोष बाबू की कमान में दुश्मन से भिड़ गए। दीपक सेना के उन बीस वीरों में शामिल थे जिन्होंने गलवान में कई गुणा अधिक चीनी सैनिकों को मार गिराकर वीरगति पाई थी।
शिक्षिका थीं रेखा
शादी से पहले रेखा सिंह जवाहर नवोदय विद्यालय में शिक्षिका थीं। शादी के महज 15 महीनों बाद ही जब पति दीपक बलिदान हुए तो रेखा पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन रेखा ने हिम्मत नहीं हारी और अपने दृढ़ संकल्प के जरिए पति का सपना पूरा किया।