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कश्मीरी पंडित युवाओं ने कलम से बंदूक को दी मात

-विस्थापन के दौरान भी जलाई रखी शिक्षा की लौ, -नगरोटा में 22 वर्ष से चला रहे लाइब्रेरी, बच्चों क

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 07:14 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 07:14 PM (IST)
कश्मीरी पंडित युवाओं ने कलम से बंदूक को दी मात
कश्मीरी पंडित युवाओं ने कलम से बंदूक को दी मात

-विस्थापन के दौरान भी जलाई रखी शिक्षा की लौ, -नगरोटा में 22 वर्ष से चला रहे लाइब्रेरी, बच्चों को दे रहे निशुल्क शिक्षा

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फोटो 14 सहित सुरेंद्र ¨सह जम्मू

बंदूक के बल पर अपने ही घर से निकाले गए कश्मीरी पंडित युवाओं ने कलम से बंदूक को मात देकर दिखा दिया। कलम को हथियार बनाकर पंडित समुदाय के युवाओं ने खुद तो सफलता हासिल की ही, अब वे उन बच्चों को भी शिक्षित कर रहे हैं, जिनका जन्म विस्थापन के दौरान विस्थापित शिविरों में हुआ था।

ऐसा ही उदाहरण पेश किया है नगरोटा के विस्थापित शिविरों में रहने वाले कुछ कश्मीरी पंडित युवाओं ने, जिन्होंने विस्थापित शिविर में अस्थायी कमरा बनाकर लाइब्रेरी शुरू की। आज 22 वर्ष की हो चुकी यह लाइब्रेरी न सिर्फ उनके बच्चों बल्कि आसपास के करीब छह गांवों के बच्चों के लिए भी शिक्षा का साधन बनी हुई है।

माता सरस्वती लाइब्रेरी के नाम से शुरू की गई ये लाइब्रेरी इस समय जगटी की माइग्रेंट कालोनी में विस्थापित परिवारों के साथ शिफ्ट कर दी गई है। लाइब्रेरी को चलाने में सहयोग करने वाले एमके भट्ट ने बताया कि जब वे कश्मीर से जम्मू विस्थापित होकर पहुंचे तो उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी पढ़ाई जारी रखने में हुई। तब कुछ युवाओं ने माइग्रेंट कैंप में लाइब्रेरी शुरू की। यहां सब एक दूसरे की किताबों को मिलकर पढ़ लेते थे। लाइब्रेरी के लिए किताबें लोगों से एकत्र की जाती थीं। लोग अपनी नई व पुरानी किताबें दान करते हैं। लाइब्रेरी आठवीं से बाहरवीं तक के बच्चों को निशुल्क पुस्तकें मुहैया करवाती है।

पंद्रह लोगों की मैनेजमेंट कमेटी गठित

पढ़-लिखे व नौकरीपेशा युवा बच्चों को पढ़ाते हैं और निशुल्क प्रोफेशनल को¨चग भी देते हैं। यहां से कई युवा पढ़कर इस समय मल्टीनेशनल कंपनियों में बड़े पदों पर पहुंचें हैं। लाइब्रेरी चलाने के लिए पंद्रह लोगों की मैनेजमेंट कमेटी गठित की गई है। इस समय इसके 85 के लगभग सक्रिय सदस्य हैं। लाइब्रेरी चलाने में कर्नल रैना की महत्वपूर्ण भूमिका

लाइब्रेरी को चलाने में सेवानिवृत कर्नल जीके रैना की महत्वपूर्ण भूमिका रही जो इस लाइब्रेरी के फाउंडर डायरेक्टर भी हैं। आज उनकी लाइब्रेरी दो कमरों व एक स्टोर में बदल चुकी है जहां वे किताबों को रखते हैं लेकिन जरूरत के मुताबिक अब लाइब्रेरी छोटी पड़ने लगी है।


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