Militancy In Jammu Kashmir : बड़े षड्यंत्र का हिस्सा था एलईटी कमांडर तालिब का भाजपा में शामिल होना, पत्रकार बन की थी पार्टी में घुसपैठ
पाकिस्तान व उसकी शह पर काम कर रहे आतंकियों के खिलाफ उसका खुलकर बोलना सोशल मीडिया पर पोस्ट करना इसी साजिश का हिस्सा था। इसकी बदौलत ही वह पार्टी नेताओं का विश्वास जीतकर वह जम्मू संभाग में अनुसूचित मोर्चा का इंटरनेट मीडिया का प्रभारी बन गया।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू के रियासी में हथियारों के साथ पकड़ा गया लश्कर आतंकी तालिब हुसैन किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने के मंसूबे को लेकर भाजपा में शामिल हुआ था। यही वजह है कि वह पार्टी में एकाएक सक्रिय हुआ और फिर एकाएक स्वयं को किनारे कर लिया। पार्टी इसे पहले से आतंकियों के निशाने पर आए प्रदेश के प्रमुख नेताओं के खिलाफ साजिश का बड़ा हिस्सा मानती है। वहीं, सुरक्षा विशेषज्ञ भी हाइब्रिड आतंक को सियासी दलों के लिए नई चुनौती मान रहे हैं।
पाकिस्तान की शह पर राजौरी में धमाकों को अंजाम देने वाले लश्कर के आतंकी तालिब शाह ने निश्चित तौर रणनीति के तहत भाजपा कार्यालय में घुसपैठ की और पत्रकार के तौर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिला और साक्षात्कार भी किए। इस दौरान पार्टी नेताओं का विश्वास जीतने के लिए वह भाजपा के लिए काम करने लगा। पाकिस्तान व उसकी शह पर काम कर रहे आतंकियों के खिलाफ उसका खुलकर बोलना, सोशल मीडिया पर पोस्ट करना इसी साजिश का हिस्सा था। इसकी बदौलत ही वह पार्टी नेताओं का विश्वास जीतकर वह जम्मू संभाग में अनुसूचित मोर्चा का इंटरनेट मीडिया का प्रभारी बन गया।
सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ वर्षों में भाजपा का तेजी से विस्तार हुआ और वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई। ऐसे में निश्चित तौर पर सभी कार्यकर्ताओं की आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखना आसान नहीं है पर राजनीतिक दलों को जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में ऐसे तत्वों के प्रति अतिरिक्त सतर्क रहना होगा।
हाइब्रिड आतंक से कोई क्षेत्र अछूता नहीं : रक्षा विशेषज्ञ और वीर चक्र विजेता कर्नल विरेंद्र साही मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में हाइब्रिड आतंक से कोई क्षेत्र अछूता नहीं है। हर जगह देश विरोधी तत्व घुसपैठ कर चुके हैं। यह एक गंभीर मसला है, ऐसे में राजनीतिक दलों को भी नए कार्यकर्ता बनाते समय उनकी स्थानीय स्तर पर जांच करनी चाहिए। इन हालात में खुफिया नेटवर्क इतना मजबूत हो कि हाइब्रिड आतंकी किसी भी संगठन, दल, सरकारी कार्यालय, शिक्षण संस्थानों में घुसपैठ कर विश्वासघात न कर पाएं।
लोगों का विश्वास जीत चुकी भाजपा की छवि खराब करने की साजिश : वहीं, भाजपा प्रवक्ता ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता का कहना है कि तालिब की भाजपा में घुसपैठ से स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी की पूरी कोशिश है कि वे देश विरोधी तत्वों की हमारी पार्टी में घुसाए। ऐसे तत्व भाजपा में शामिल होकर अंदर की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की ताक में थे। ब्रिगेडियर गुप्ता का कहना है कि यह लोगों का विश्वास जीत चुकी भाजपा की छवि खराब करने की साजिश है। हमें भविष्य में और सतर्क रहकर कार्यकर्ता बनाने होंगे।
तालिब ने 27 मई को दे दिया था त्यागपत्र : तालिब को भाजपा अनुसूचित मोर्चा के जम्मू संभाग का इंटरनेट मीडिया प्रभारी बनाने वाले मोर्चा प्रधान चौधरी शेख बशीर का कहना है कि उसे नौ मई को जिम्मेवारी दी गई थी, लेकिन वह भाजपा कार्यकर्ता के रूप में न किसी गतिविधि में शामिल हुआ और न कोई बैठक की। 18 दिन के बाद उसने खुद ही मीडिया के माध्यम से अपने त्यागपत्र देने के साथ भाजपा से कोई नाता न होने का बयान दिया था।
मुझे निशाना बनाने की साजिश की अहम कड़ी थी तालिब : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना का कहना है कि तालिब हुसैन, मुझे निशाना बनाने की लश्कर-ए-तैयबा की साजिश की एक अहम कड़ी थी। मुझे सुरक्षाबलों की ओर से कई बार चेतावनी दी गई कि मेरी जान को खतरा है। इस दौरान मुझे कोई अदांजा नहीं था कि पत्रकार बनकर कई बार मेरे करीब आने वाला तालिब एक आतंकवादी था। रैना का कहना है कि वह जम्मू-कश्मीर पुलिस व रियासी के बहादुर लोगों के आभारी हैं, जिनकी सर्तकता के कारण तालिब व उसके सहयोगी आतंकियों कर साजिश को नाकाम बनाना संभव हुआ।
कब-कब कराए धमाके
- 26 मार्च को राजौरी के कोटरंका में थाने के पास दो आइईडी धमाके। इसमें कोई जनहानि नहीं हुई।
- 19 अप्रैल को कोटरंका के जग्लानू में झुग्गियों में दो विस्फोट हुए और इसमें दो लोग घायल हो गए।
- 24 अप्रैल को राजौरी के शाहपुर-बुद्धल इलाके में धमाका किया गया। इसमें दो लोग घायल हो गए थे।
सैन्य शिविर में भी उसका आना-जाना रहता था : पत्रकारिता के नाम पर क्षेत्र के सैन्य शिविर में उसका आना-जाना रहता था। खुफिया एजेंसियां तालिब शाह के नंबरों की जांच की जा रही है कि कहीं वह सेना के ठिकानों की जानकारी भी सीमा पार तो नहीं भेजता रहा। तालिब के दो साथी आतंकी 28 जून को पकड़े गए थे। उनसे पूछताछ पर तालिब का नाम आया। उन्होंने बताया कि तालिब शाह मीडिया और सियासी संपर्क के आधार पर नजर में आने से बचा रहा और पाकिस्तान में बैठे आकाओं के इशारे पर क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के साथ नई भर्ती के प्रयास में जुटा था।