केंद्र शासित प्रदेश बनने का एक साल; कश्मीर से अलग हुए लद्दाख में पर्यटन से बेहतर भविष्य की उम्मीदें जवां
लद्दाख के भाजपा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल का कहना है कि अनुच्छेद 370 की बाधा को दूर किए जाने के बाद अब लद्दाख में विकास हो रहा है। केंद्र शासित प्रदेश में जन उम्मीदों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर मुहिम जारी है।
जम्मू, विवेक सिंह: कश्मीर के साथ जुड़ कर नजरअंदाज होते आए लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने से क्षेत्र के तेज विकास की राह हमवार हो गई। दूरदराज के लोगों के घरों के पास पक्की सड़कें क्यां पहुंची विकास के प्रति उनका नजरिया ही बदल गया।
लद्दाख में विकास सरपट भाग रहा है। सात दशकों से कश्मीर केंद्रित सरकारों के भेदभाव के कारण सुलग रहे लद्दाख काे कश्मीर से आजादी के पहले साल में विकास के बड़े तोहफे मिलने से लोगों ने नया विश्वास पैदा हुआ। अब केंद्र शासित प्रदेश बनने के दूसरे साल से लगी बड़ी उम्मीदों में क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूचित में शामिल करना है। जम्मू कश्मीर व लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का केंद्र सरकार का आदेश 31 अक्टूबर 2019 को प्रभावी हुआ था।
केंद्र शासित प्रदेश बनने के एक साल में विकास के बड़े प्रोजेक्टों, सड़कों, पुल बनने से दूरदराज के लोग पर्यटन से भविष्य बेहतर बनाने के सपने संजो रहे हैं। इस समय लद्दाख के लिए मंजूर 142 सड़क प्रोजेक्टों में से 100 के करीब पूरे होने से दर्जनों ऐसे गांवों को सड़क नसीब हुई जो पहले विकास से कौसों दूर थे। इन गांवों में लेह के सिनगाग ललोक इलाके में यौलचुंग, न्यारक गांव शामिल हैं। हाल ही में इन गांवों के साथ आस पास के कई गांवों काे अपने सड़क पर चलने का मौका मिला।
लद्दाख में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं लेकिन कश्मीर के पर्यटन को बढ़ावा देने की नीति के कारण क्षेत्र नजरअंदाज हुआ। पर्यटन के लिए अच्छी सड़कें जरूरी होती हैं। ऐसे में अब केंद्र सरकार की ओर से सारा ध्यान नई सड़कें, नए पुल व टनलें बनाने पर केंद्रित है। लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के पहले साल में सारा ध्यान क्षेत्र में सेना व सीमांत क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित रहा है। लद्दाख में 50 के करीब छोटे बड़ें पुलों के निमार्ण के बाद जारी वित्त वर्ष में 45 नए पुल बनाने का कार्य जोरशोर से जारी है।
कश्मीर केंद्रित सरकारों के पास लद्दाख की जरूरताें को पूरा करने के लिए सिर्फ एक विभाग था। अब लद्दाख के पास विकास को तेजी देने के लिए अपने तीस के करीब विभाग हैं। लद्दाख विकास को तेजी देने के लिए फंड को तरसता था। केंद्र शासित प्रदेश बनने के पहले साल में मोदी सरकार ने लद्दाखियों की उम्मीदों से कई गुणा ज्यादा 5958 करोड़ रूपये का बजट मंजूर किया।
लेह के निवासी सिवांग मोटुप का कहना है कि एक साल में लद्दाख में बहुत बड़ा बदलाव आया है। पहले बार बार मांगने पर भी लद्दाख को उसका हक नही मिलता था। अब बिना मांगे लद्दाख को उम्मीदों से ज्यादा मिला है। उन्होंने बताया कि लद्दाख के दूरदराज इलाकों में विकास बहुत बड़ा मुद्दा था। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद सब से ज्यादा विकास ग्रामीण इलाकों में हो रहा है। दूरदराज इलाकों में पुल व सड़कें बनने से इन इलाकों तक पर्यटक पहुंच पाएंगे। ऐसे में दूरदराज के लोगों का आर्थिक स्तर भी बेहतर होगा।
लद्दाख में दूरसंचार व्यवस्था को बेहतर बनाना शुरू से नजरअंदाज होता आया। अब क्षेत्र में 54 नए टावर लगाकर संचार व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में कार्रवाई जारी है। इसके साथ लद्दाख में देश, विदेश के खिलाडियों को लाने के लिए सिंथेटिक टर्फ, एस्ट्रो टर्फ, फुटबाल स्टेडियम, जिम्नेजियम हाल व आईस हाकी रिंक बनाने का कार्य जारी है।
लद्दाख में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी, मेडिकल कालेज के साथ नए कालेज भी मंजूर कर दिए गए हैं। इसके साथ बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए मोदी सरकार ने लद्दाख को नार्दन ग्रिड के साथ भी जोड़ दिया था।
अब हो रहा है लद्दाख से इंसाफ: लद्दाख के भाजपा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल का कहना है कि अनुच्छेद 370 की बाधा को दूर किए जाने के बाद अब लद्दाख में विकास हो रहा है। केंद्र शासित प्रदेश में जन उम्मीदों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर मुहिम जारी है। लद्दाख में सेंट्रल युनिवर्सिटी, मेडिकल कालेज, बीएडी कालेजों के साथ विकास के कई बड़े प्रोजेक्ट लद्दाखियों की तकदीर बदल रहे हैं। लद्दाख के लोगों में विश्वास की भावना को बल देने के लिए क्षेत्र में पाकिस्तान व चीन के साथ लगते इलाकों में सेना को मजबूत बनाया जा रहा है। लद्दाख में सेना को मजबूत बनाकर पड़ौसी देशाों के मंसूबे नाकाम बनाना लोगों की पुरानी मांग थी। अब सीमांत क्षेत्रों में बन रहे पुलों व सड़कों के कारण दूरदराज के लोगों को फायदा हो रहा है। सांसद का कहना है कि सत्तर सालों में लद्दाख के साथ सौतेला व्यवहार हुआ। अब वे काम हो रहे हैं जिनके लिए लेह व कारगलि जिलों के लोग तरसते थे।