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Ladakh Lockdown News: कारगिल में सामुदायिक पढ़ाई शुरू; मैदानों, पेड़ों के नीचे बैठ पढ़ाई कर रहे बच्चे

बच्चों की पढ़ाई को सुचारू बनाने के लिए अध्यापकों के साथ में स्वयंसेवकों व इन इलाकों के निवासियों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि अध्यापकों के सामने बैठ कर पढ़ाई करने से इन बच्चों को अपना पाठ्यक्रम पूरा करने में लाभ मिलेगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 01:51 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 01:51 PM (IST)
Ladakh Lockdown News: कारगिल में सामुदायिक पढ़ाई शुरू; मैदानों, पेड़ों के नीचे बैठ पढ़ाई कर रहे बच्चे
प्रकृति के बीच मैदानों, पेड़ों के नीचे बैठक कर बच्चों को भी पढ़ाई करने में आनंद आ रहा है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले में कोरोना संक्रमण के कारण प्रभावित पढ़ाई को सामुदायिक शिक्षा से पटरी पर लाने की कार्रवाई शुरू हो गई है।

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जिला प्रशासन की मदद से इन दिनों कारगिल में एहतियात के साथ खुली जगहाें पर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। यह व्यवस्था विशेषतोर पर ग्रामीण इलाकों में बनाई गई है। लद्दाख शिक्षा विभाग की देखरेख में कारगिल जिले में 200 चिन्हित स्थानों पर इस समय खुल में, पेड़ों के नीचे कक्षाएं लग रही हैं। खुले में इन कक्षाओं को कामयाब बनाने के लिए कारगिल के 1000 के करीब शिक्षकों के साथ इतने ही स्वयंसेवी भी मदद कर रहे है।

प्रकृति के बीच मैदानों, पेड़ों के नीचे बैठक कर बच्चों को भी पढ़ाई करने में आनंद आ रहा है। इस पढ़ाई पर शिक्षा विभाग के साथ स्थानीय निवासियों की भी पूरी नजर है। कारगिल हिल काउंसिल के चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर फिरोज़ अहमद खान ने जिले के डिप्टी कमिश्नर संतोष सुखदेव के साथ कारगिल के टीएसजी जोन व द्रास जोन का दौरा कर सामुदायिक शिक्षा से बच्चों को पढ़ाने के लिए की जा रही कार्रवाई का निरीक्षण किया।

उन्होंने बच्चों की पढ़ाई को सुचारू बनाने के लिए अध्यापकों के साथ में स्वयंसेवकों व इन इलाकों के निवासियों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि अध्यापकों के सामने बैठ कर पढ़ाई करने से इन बच्चों को अपना पाठ्यक्रम पूरा करने में लाभ मिलेगा। आनलाइन शिक्षा के कारण बच्चे अपने शिक्षकों से रूबरू नहीं हो पा रहे थे। जिले में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी के कारण बंद किए गए स्कूल अभी तक नहीं खुले हैं।

ऐसे में सामुदायिक शिक्षा से बच्चों को पढ़ाना बहुत जरूरी हो गया था। अब स्थानीय अध्यापक व स्वयंसेवी, ग्रामीणों के साथ मिलकर कोशिश कर रहे हैं कि कारगिल के दूरदराज ग्रामीण इलाकों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो। 


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