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Jammu Kashmir में इस साल विधानसभा चुनाव होने के आसार कम, क्यों फेल होते दिख रहे बड़े बड़े दावे, ये है वजह

Assembly Elections Jammu Kashmir अगर पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर की बात करें तो उस समय जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विधानसभा की कुल 87 सीटें थी। इसमें जम्मू-कश्मीर की 83 सीटें भी शामिल थी। चूंकि अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 03:57 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 04:19 PM (IST)
Jammu Kashmir में इस साल विधानसभा चुनाव होने के आसार कम, क्यों फेल होते दिख रहे बड़े बड़े दावे, ये है वजह
नए विधानसभा के हिसाब से नए पोलिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे और इनकी संख्या बढ़कर 11370 तक पहुंच जाएगी।

जम्मू, [ विकास अबरोल ]। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में इस वर्ष विधानसभा चुनाव संभव नहीं हैं। कारण स्पष्ट है कि प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार सिंह ने फाइनल मतदाता सूचियां 25 नवंबर 2022 तक जारी करने की घोषणा की है। ऐसे में वर्ष 2022 के बचे गिनती के कुछ दिनों के भीतर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की संभावनाएं क्षीण हो चुकी हैं।

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हालांकि कुछ महीनों पहले तक प्रदेश में विधानसभा चुनाव इस वर्ष करवाने संबंधी बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे लेकिन प्रदेश की भौगोलिक स्थिति इस तरह से है कि दिसंबर माह में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो भारी बर्फबारी के कारण शेष प्रदेश से कट जाते हैं।ऐसे में प्रदेश में चुनाव अप्रैल-मई के महीने में ही संभव हैं। जम्मू-कश्मीर में अब परिसीमन आयोग की रिपोर्ट भी अब लागू हो चुकी है और विधानसभा की सीटें 83 से बढ़कर 90 तक पहुंच गई हैं।कुछ ऐसी सीटें भी हैं जिनके क्षेत्र में विस्तार और बदलाव हुए हैं। नए विधानसभा के हिसाब से नए पोलिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे और इनकी संख्या बढ़कर 11370 तक पहुंच जाएगी।ऐसे में वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव करवाने की राह काफी जटिल है।

अगर पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर की बात करें तो उस समय जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विधानसभा की कुल 87 सीटें थी। इसमें जम्मू-कश्मीर की 83 सीटें भी शामिल थी। चूंकि अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। निर्वाचन आयोग के समक्ष सबसे पहले फाइनल मतदाता सूचियां तैयार करना एक बहुत बड़ी चुनौती है।

इस बार वोटर सूचियों को आधार के साथ लिंक किया जाएगा। इसके अलावा मतदाताओं को नए सुरक्षा मानकों वाले वोटर पहचान पत्र उपलब्ध करवाए जाएंगे।इस बार 20 से 25 लाख के करीब नए मतदाता सूचियों में शामिल किए जाएंगे। यह मतदाता सूचियां बनाने के लिए शिक्षण संस्थानों में कैंप लगाए जाएंगे और घर-घर जाकर प्रचार भी किया जाएगा। विस्थापित पहले की तरह अपना मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।


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